- रिटायरमेंट के बाद, कॉर्पस का एक हिस्सा निकाला जा सकता है, जबकि बाकी राशि पीएफआरडीए-पंजीकृत पेंशन फंड मैनेजर के प्रबंधन में रहती है।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। आप रिटायरमेंट के बाद का प्लान कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए खास साबित हो सकती है। नेंशनल पेंशन प्रणाली (NPS) और म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) को लेकर तरह-तरह के सवाल होते हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि कौन सा प्लान आपके के लिए अच्छा साबित होने वाला है। लेकिन, अंतिम फैसला आप सोच-विचार कर ही कीजिएगा।
म्यूचुअल फंड-इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (Mutual Fund Equity-Linked Saving Scheme) और एनपीएस में बेहतर कौन है? दोनों प्लान में बेहतर लाभ है। रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग, आर्थिक रोडमैप, बचत या निवेश पर पड़ने वाले असर को एक बार जरूर आप ध्यान से पढ़कर ही फैसला लीजिए।
म्यूचुअल फंड और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) इंवेस्टमेंट के हिसाब से सटिक रास्ता है।
एनपीएस, म्यूचुअल फंड पर निवेशक की सोच
एनपीएस और म्यूचुअल फंड के बीच का चुनाव आपके विशिष्ट वित्तीय उद्देश्यों से मेल खाना चाहिए। एनपीएस उन लोगों को पसंद आता है जो वित्तीय सुरक्षा और कर लाभ को प्राथमिकता देते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड उच्च जोखिम सहनशीलता, मध्यम से लंबी अवधि के लक्ष्यों और विविध निवेश आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
एनपीएस, सरकारी समर्थित रिटायरमेंट सेविंग स्कीम
आपको बता दें कि एनपीएस, एक सरकारी समर्थित रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है। इसमें निवेश लक्ष्य या रिटायरमेंट की आयु तक पहुंचने तक हर महीने एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है। साथ ही रिटायरमेंट के बाद, कॉर्पस का एक हिस्सा निकाला जा सकता है, जबकि बाकी राशि पीएफआरडीए-पंजीकृत पेंशन फंड मैनेजर के प्रबंधन में रहती है।
एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड: टैक्स बेनिफिट
निवेश मामलों के जानकार बताते हैं कि नेंशनल पेंशन स्कीम-एनपीएस खाते आयकर अधिनियम की धारा 80सी और 80सीसीडी के अनुसार कर लाभ प्रदान करती है।
म्यूचुअल फंड श्रेणी धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए भी पात्र है, और निवेश के लिए 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति है, जिसके परिणामस्वरूप 46,800 रुपये तक की कर बचत होती है।
यह 3 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आता है, जिसका अर्थ है कि इसे 3 साल से पहले भुनाया नहीं जा सकता है। ईएलएसएस फंड के भुनाने पर 10% की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगता है। लेकिन, अगर लाभ 1 लाख रुपये की सीमा के भीतर है, तो कोई कर नहीं लगता है।