- इंटक वर्किंग कमेटी की बैठक में हंगामा हो गया। पदाधिकारियों में तीखी बहस ऐसी की हाथापाई तक की नौबत आ गई थी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल (SAIL) भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन इंटक में इस वक्त गुटबाजी चरम पर है। चुनाव हारने वाला गुट और जीतने वाला पक्ष अब आमने-सामने आ गया है। यूनियन दफ्तर में तनातनी और जमकर तू-तू-मैं-मैं तक होनी शुरू हो गई है।
वरिष्ठ पदाधिकारियों में ऐसी बहस हुई, जिसको यहां लिखा नहीं जा सकता है। आखिर, इंटक में अचानक से इस तरह के हालात क्यों और किसके कारण बन रहे हैं। भिलाई टाउनशिप और रेल मिल में हुए विवाद, वसूली का खेल और धन उगाही तक का पूरा मामला Suchnaji.com में पढ़ लीजिए।
हंगामे की शुरुआत यूनियन चुनाव के समय से हुई थी। महासचिव पद पर संजय साहू और वंश बहादुर सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था। एक वोट से संजय साहू हार गए थे। वंश बहादुर सिंह महासचिव की कुर्सी पर बैठे। लेकिन, यह कुर्सी कांटों भरी रही। चुनाव की वजह से इंटक में दो खेमा हो गया।
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चुनाव हारने वाले इंटक ठेका यूनियन के साथ हो गए और समर्थक दोनों जगह बरकरार रहे। लेकिन, मन-मुटाव बढ़ता गया। अपनी बात मनवाने और महासचिव से भाव न मिलने का आरोप लगना शुरू हुआ। पिछले दिनों सेक्टर-4 पानी टंकी गिरने के साथ ही यूनियन में विवाद का स्तर भी गिर गया।
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मीटिंग बुलाने, टाउनशिप प्रभारी को तवज्जो न मिलने, प्रभारी को सूचना दिए बगैर घटनास्थल पर पर महासचिव के पहुंचने आदि बातों को लेकर वर्किंग कमेटी की बैठक में विपिन बिहारी मिश्र ने बवाल काट दिया। देखते ही देखते कहासुनी इतनी बढ़ गई कि कार्यकारी अध्यक्ष पूरन वर्मा, एसके बघेल सहित कई पदाधिकारी भी लपेटे में आ गए।
पुरानी परंपरा और अभी के हालात पर बहस होने लगी। जैसे-तैसे मामले को शांत कराया गया। अब वर्तमान कमेटी पर दबाव डाला जा रहा है कि विवाद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। संगठन को मजबूत और एकजुट करने की बात को लेकर महासचिव इस मांग को खारिज कर रहे हैं।
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संगठन में खींचतान की कहानी रेल मिल में भी तूल पकड़ी। मामला ऐसा तूल पकड़ा कि दलाल प्रवृत्ति के एक व्यक्ति ने 2 लाख रुपए मुंह खोलकर मांग लिया। यूनियन पदाधिकारियों की लड़ाई का फायदा दलाल को मिल गया। बैठे-बिठाई धनउगाही का धंधा मिल गया।
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रेल मिल का विवाद यूनियन पदाधिकारी कौशलेंद्र सिंह और चंद्रशेखर सिंह के बीच जगजाहिर है। रेल मिल शिपिंग से कौशलेंद्र का ट्रांसफर कराने का आरोप चंद्रशेखर सिंह पर लगा। इस वजह से दोनों यूनियन नेताओं में ठन गई।
एक-दूसरे को सबक सिखाने के लिए अचानक से बड़ा गेम खेला गया। ये दोनों नेता आपस में लड़ते रहे और तीसरे ने धनउगाही कर ली।
यूनियन दफ्तर में विवाद, भिलाई टाउनशिप प्रभारी और रेल मिल में यूनियन नेताओं में खींचतान पर महासचिव वंश बहादुर सिंह का Suchnaji.com ने पक्ष लिया। बातचीत के दौरान महासचिव ने यहा किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ है। यूनियन में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है।
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प्रजातांत्रिक तरीके से सब अपनी बात रखते हैं। किसी की आवाज धीमी होती, किसी की तेज। इसको झगड़ा नहीं बोला जा सकता। मेरे ऊपर दबाव डाला जा रहा है कि संगठन विरोधी कार्य करने वालों पर एक्शन लिया जाए, जिस तरह से राजेंद्र पिल्लै के खिलाफ नोटिस दिया गया था।
लेकिन, मैं संगठन हित में काम करने आया हूं। आपस की बात है, चर्चा से सब हल हो जाएगा। रेल मिल विवाद पर भी अंदुरुनी काफी बातों की जानकारी साझा की है, जिसको सार्वजनिक नहीं किया सकता है।