कोल इंडिया में मसीहा बनने के चक्कर में पलटू राम की मिली उपाधि

-सीटू नेता का कहना है कि स्थिति इतनी हास्यास्पद हो गई कि कोर्ट में इनके वकील DPE का फुलफार्म बताने में असमर्थ होकर हांफते दिखे।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कोल इंडिया के कामगारों की किस्मत के साथ ही नेताजी का भविष्य भी दांव पर लग गया है। कोयला श्रमिक संघ-सीटू के जनरल सेक्रेटरी वीएम मनोहर ने कोल इंडिया के एक श्रमिक नेता का नाम लिए बगैर कटाक्ष कर दिया है। अपने आप को श्रमिकों का मसीहा दिखाने की कोशिश में लगे वयोवृद्ध नेता ऐन वक्त पर पानी का बुलबुला साबित हुए। मौजूदा हालात को लेकर कटाक्ष किया गया है।
सीटू नेता का कहना है कि NCWA 11 के वेतन और एरियर भुगतान के निर्णय को कुछ अधिकारियों द्वारा वेवजह कोर्ट में घसीटने पर एक वयोवृद्ध नेता बगैर सोचे समझे खैर ख़्वाही और कामगारों के बीच अपने आप को मसीहा दिखाने के चक्कर मे कोर्ट में पार्टी बनकर अपने मुंह मिया मिट्ठू बन गए।
इतना ही नहीं, इसके बाद अपने को हीरो बताकर अनाप सनाप बयानबाजी भी शुरू कर दिए कि भले ही कोर्ट ऑफ कंटेम्प हो, बढ़ी हुई सेलरी रुकने नहीं दूंगा। जबकि उस समय तक सैलरी रोकने के विकल्प पर किसी का ध्यान ही नहीं था। कोर्ट ऑफ कंटेप्ट और सेलरी नहीं रुकने देंगे जैसे बयानबाजी का असर हुआ कि प्रबंधन आपाधापी में इनके बयान का उलट कर ही अपना बचाव करने की कोशिश करने लगा। आज जो प्रबंधन ने सैलरी होल्ड का स्टेप उठाया। इसी नेता के बड़बोलेपन और बयानबाजी का परिणाम है। कोर्ट में जब इनकी और इनके वकील की वास्तविक जरूरत आयी तो दोनों पानी के बुलबुले की तरह फिसड्डी साबित होकर धराशाही हो गए।
सीटू नेता का कहना है कि स्थिति इतनी हास्यास्पद हो गई कि कोर्ट में इनके वकील DPE का फुलफार्म बताने में असमर्थ होकर हांफते दिखे। जिससे जज को समझने में देर नहीं लगी कि यह टाइम पास वाले हैं और मैटर की जमीनी हकीकत से कोसो दूर हैं। जज ने CIL के साथ ही इनकी तारीख भी रखकर इन्हें आईना दिखाने का काम किया। अब श्रमिकों के ये स्वघोषित नेता न घर के रहे न घाट के…।
कोर्ट में पार्टी बनना इनके हल्केपन और अनुभवहीनता को दर्शाता है। कारण कोर्ट और ट्रेड यूनियन दोनों के प्रति CIL जबाबदेह था। फिर इन्हें इतनी छोटी समझ भी नहीं आई। बाकी यूनियन के अनुभवी नेता जब CIL पर इसके लिए आंदोलन का दबाब बनाकर उसे जबाबदेह बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है तो ऐसे में इनकी नासमझी भरा कदम श्रमिकों की लड़ाई को कमजोर करने पर आमादा है।
यूनियन का कहना है कि इस स्वघोषित मसीहा की मानसिक स्थिति आज इतनी बदतर हो गयी है कि 2-2 मिनट पर अपनी बातों से पलट कर मसीहा की जगह पलटू राम की उपाधि से श्रमिकों द्वारा नवाजे जा रहे हैं।