- लोकसभा चुनाव में 26 अप्रैल को होगी सेकंड फेज की वोटिंग
- छत्तीसगढ़ के इन इलाकों में होगी वोटिंग। अरविंद नेताम दो बार केन्द्रीय मंत्री रहे है। पांच बार लोकसभा सांसद रहे है।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। देश भर में लोकसभा चुनाव ने राजनैतिक पारा चढ़ा दिया है। सात फेज के चुनाव में 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इस चरण में छत्तीसगढ़ की तीन सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे। तीनों ही सीट प्रदेश की सीमावर्ती क्षेत्र है। कांकेर लोकसभा महाराष्ट्र और ओडिशा की सीमा से लगती है।
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राजनांदगांव लोकसभा से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा लगती है। महासमुंद लोकसभा का बड़ा हिस्सा ओडिशा से राज्य का बॉर्डर बनाता है। तीनों ही लोकसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है। इतना ही नहीं तीनों सीट राजनीतिक लिहाज से भी अति महत्वपूर्ण है। एक सीट से पूर्व मुख्यमंत्री, दूसरे सीट से पूर्व गृहमंत्री चुनाव लड़ रहे है तो तीसरी सीट पर कद्दावर नेता और दो बार के केन्द्रीय मंत्री का तगड़ा प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है।
समझिए राजनीतिक महत्ता
राजनांदगांव प्रदेश की अति महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है। यहां से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री (Ex CM) भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) चुनाव लड़ रहे है। भूपेश बघेल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचार भी है। पार्टी के राष्ट्रीय चेहरे बन चुके है। इस लिहाज से राष्ट्रीय स्तर पर सभी की नजर राजनांदगांव सीट की ओर बनी हुई है।
महासमुंद लोकसभा सीट (Mahasamund Lok Sabha seat) से छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री (Ex HM) ताम्रध्वज साहू चुनावी मैदान में है। ताम्रध्वज दुर्ग के रहने वाले है। वर्ष 2014 में ताम्रध्वज प्रचंड मोदी लहर के बावजूद BJP की राष्ट्रीय नेता सरोज पाण्डेय को पराजित किए थे। तब देश में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटें और छत्तीसगढ़ में केवल एक सीट ही जीत पाई थी। इस जीत के बाद ताम्रध्वज भी राष्ट्रीय नेता बने। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय OBC सेल बनाकर पहला चेयरमैन बनाया था।
कांकेर लोकसभा बड़े कांग्रेसी नेता रहे अरविंद नेताम का निर्वाचन क्षेत्र रहा है। अरविंद नेताम दो बार केन्द्रीय मंत्री रहे है। पांच बार लोकसभा सांसद रहे है। प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता है। बीते दिनों कांग्रेस छोड़कर अलग राजनीतिक दल ‘हमर राज पार्टी’ का गठन किया। अरविंद नेताम के प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में खास प्रभाव नहीं डाल पाए। लेकिन कुछ विधानसभाओं में इनके प्रत्याशियों ने आठ हजार से 10 हजार तक वोट पाने में सफल रहे थे। लोकसभा चुनाव में पार्टी दम भर रही है।
तीनों लोकसभा है नक्सल प्रभावित
कांकेर : कांकेर लोकसभा धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। कांकेर जिले में लाल आतंक का साया है। यहीं अबूझमाड़ का घनघोर वनांचल है। लोकसभा के अंतर्गत आने वाला कोंडागांव जिला, धमतरी जिला भी नक्सल इफेक्टेड है। यहां कई मतदान केन्द्र सुदूर वनीय क्षेत्र में मौजूद है।
राजनांदगांव : राजनांदगांव लोकसभा के अंतर्गत आने वाला मोहला-मानपुर-अंबागढ़-चौकी जिले में नक्सलियों की तगड़ी धमक है। जबकि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कबीरधाम जिला भी आंशिक रूप से नक्सल प्रभावित है। राजनांदगांव जिले के कुछ इलाके भी नक्सल इफेक्टेड है।
महासमुंद : महासमुंद लोकसभा क्षेत्र जिला महासमुंद, गरियाबंद और धमतरी तीन जिलों तक फैला हुआ है। यह लोकसभा क्षेत्र राज्य का सीमावर्ती इलाका है। यहां से ओडिशा की सीमा लगती है। गरियाबंद जिले की मैनपुर और ओडिशा से लगे हुए क्षेत्र नक्सल प्रभावित है।