ईपीएस 95 पेंशन की आग में घटी बीजेपी की सीटें?, पेंशनभोगी निकाल रहे भड़ास

EPS 95 धारकों की पेंशन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा। इसे नजरअंदाज किया गया है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन को लेकर आंदोलन करने वालों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। मोदी सरकार से खासा नाराजगी जाहिर करने वाले पेंशनर्स खुलकर भड़ास निकाल रहे हैं। जबकि लगातार तीसरी बार पीएम मोदी शपथ ले चुके हैं। सोशल मीडिया पर पेंशनभोगियों की क्या बतकही चल रही है, इसकी झलक आप देखने जा रहे हैं। पढ़िए, पेंशनभोगियों के मन की बात।

भाजपा क्यों पीछे आ गई? पर एक पेंशनर्स ने खुलकर बात की। लिखा-2024 का लोकसभा चुनाव बहुत जोर शोर से हुआ। देश-विदेश के सभी एग्जिट पोल झूठे और आश्चर्यजनक परिणाम शुरू हो गए।

और बीजेपी वाले तो बवाल में जाग गए। ज्यादा आत्मविश्वास और भाजपा की बातों को नहीं मानता। और तानाशाही समाप्त हो गई है। हम जो भी करेंगे, हम चुने जाएंगे। वह भ्रम जो चुना गया था। अब दूसरों की सजा पर सरकार चलनी पड़ेगी। जमीन पर रहकर सोचते तो ये वक्त ना आता।

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भारत भर में EPS 95 धारकों की पेंशन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा। बस इसे नजरअंदाज करने के लिए। ईपीएस 95 वरिष्ठ नागरिक बुलडाना में पांच वर्षों से अधिक समय से उपवास कर रहे हैं। उन्हें मिली टूटी पेंशन पर जीना मुश्किल है। महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है।

ऐसे जीवन कैसे जिएं? यह बड़ा सवाल मेरे सामने खड़ा है। अतः पिछले पांच वर्षों से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया गया है। ताकि सरकार ध्यान दे और वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को समझे।

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पीएम मोदी पर नजर अंदाज करने का आरोप

पेंशनर्स ने लिखा-सोचा था 2019 चुनाव से पहले मोदीजी ध्यान देंगे। लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। हर वरिष्ठ नागरिक को उम्मीद थी कि पांच साल बाद 2024 में पेंशन 100 प्रतिशत बढ़ जाएगी। लेकिन पांच साल बाद भी मोदीजी ने जान बूझ कर नजरअंदाज कर दिया।

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हेमा मालिनी की कोशिश रही जारी

पिछले पांच वर्षों में भारत के सभी पार्टियों के सांसद मिले और सैकड़ों बयान दिए। सांसद हेमा मालिनी ने तीन चार बार राष्ट्रीय अध्यक्ष राउत साहब और उनके साथियों से व्यक्तिगत मुलाकात कर वरिष्ठजनों की समस्याओं और पेंशन पर चर्चा की। और हर बार मोदी ने राउत साहब को भरोसा दिलाया कि आपका काम होगा। लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया है।

लोकसभा में पेंशनर्स का उठता रहा मामला

भारत के कई राज्यों के सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा में संसद सत्र के दौरान कई बार यह सवाल उठाया। बुलडाणा सांसद प्रतापराव जाधव और राष्ट्रवादी की सुप्रिया सुले, महाराष्ट्र के कुछ सांसदों ने सत्र में यह सवाल उठाया। और अन्य राज्यों के कई सांसदों ने यह सवाल उठाया था। फिर भी मोदी जी ने ध्यान नहीं दिया। अब इसके परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

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ईपीएस 95 वरिष्ठ नागरिक कैसे जीवन गुजारें

एक पेंशनर्स ने कहा-ईपीएस 95 वरिष्ठ नागरिक बिना पैसे के जीवन कैसे जिए। हर कोई इसमें फिट नहीं है। दमा, मधुमेह, मधुमेह, विकलांगता, याददाश्त की कमी जैसे कई बीमारियों से वरिष्ठ प्रभावित होते हैं। और अगर इस टूटी पेंशन में खाने की व्यवस्था नहीं है, तो अस्पताल और दवा में पैसे कहाँ से लाएं?

सांसदों का फंड बढ़ा दिया जाता है। बिना मतलब वेतन और आराम देते रहे। आज के महंगाई काल में न्यूनतम 10000 से 15000 तक पेंशन मिलनी चाहिए। इसमें दो समय का भोजन और चिकित्सा खर्च भी होगा। पूरे भारत में EPS 95 के वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगभग 70,00000 है। आप इस तथ्य को नहीं भूलेंगे कि इन सभी नाराजगी ने आपको वापस लाया है।

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