SAIL, RINL, NMDC, नगरनार स्टील प्लांट और अधिकारियों के लिए होने जा रहा कुछ खास, SEFI ने एचडी कुमार स्वामी से की बात

– केन्द्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी से दिल्ली में सेफी ने की मुलाकात।
– इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का रणनीतिक साझेदारी/विलय पर की चर्चा। मंत्री से कई आश्वाशन।
सूचनाजी न्यूज़, भिलाई। सेफी ने सेल अधिकारियों के 11 महीने के लंबित पर्क्स भुगतान शीघ्र किये जाने की रखी मांग“ सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी जी से उद्योग भवन, नई दिल्ली में भेंट की। जिसमें मुख्य तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों के निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन, रणनीतिक साझेदारी/ विलय,  सेल अधिकारियों को 11 माह के लंबित पर्क्स एरियर्स (26.11.2008 से 04.10.2009 तक), उन्तीस अधिकारियों के निलंबन को शीघ्र बहाल करने, वीआईएसएल भद्रावती का रिवाइवल आदि मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान सेफी के उपाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह, सेफी कोषाध्यक्ष एस लोकनाथ उपस्थित थे।
सेफी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि भारत सरकार की नवीन इस्पात नीति 2030 के तहत इस्पात मंत्रालय के द्वारा सेल को क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है, इसके अंतर्गत सेल को वर्ष 2030 तक 35 MT की क्षमता अर्जित करने का लक्ष्य दिया गया है। इस विस्तार हेतु सेल के द्वारा 1 लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश किया जाएगा। सेफी ने यह मांग की कि सेल के वर्तमान विस्तार के योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस्पात क्षेत्र के दो सार्वजनिक उपक्रमों नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड जिनकी क्षमता क्रमशः 3 MT एवं 7 MT है, अतः इन दोनों कंपनियों का सेल में रणनीतिक साझेदारी/विलय कर दिया जाए तो वर्तमान में दिए गए विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही हासिल किया जा सकेगा। यह कदम जहां सेल के उत्पादन क्षमता को शीघ्र बढ़ाने में मददगार होगा वहीं इन राष्ट्रीय संपत्तियों को विनिवेश से बचाया जा सकेगा और इनके संपूर्ण क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही इन इकाईयों में कार्यरत कार्मिकों के हितों की भी रक्षा की जा सकेगी।
सेफी ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि नगरनार इस्पात संयंत्र 3 MT की क्षमता के साथ 24000 करोड़ की लागत से अत्यंत आधुनिक तकनीक के साथ बना इस्पात संयंत्र है जो कि कच्चे लौह अयस्क की खदानों से परिपूर्ण इकाई है। इसे चलाने के लिए मात्र 200 अधिकारी एवं 1000 कर्मचारी उपलब्ध है जो कि अपर्याप्त है। इस संयंत्र के प्रचालन हेतु वर्तमान में मेकॉन को जिम्मेदारी दी गयी है, मेकॉन को इस्पात संयंत्र प्रचालन का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। इन परिस्थितियों में इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। इसी प्रकार राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड 7 MT की क्षमता के साथ कुशल तकनीकी विशेषज्ञों से परिपूर्ण इकाई है जो कि वर्तमान में कच्चे लौह अयस्क की कमी एवं ऊंची कीमतों से जूझ रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी। इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा वहीं दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।
लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को विनिवेश के बजाए इनका रणनीतिक साझेदारी/विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
11 माह के पर्क्स की राशि के शीघ्र भुगतान हेतु सेफी चेयरमेन श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी जी से विस्तृत चर्चा की। सेफी चेयरमेन ने इस्पात मंत्री को बताया कि सरकार के दिशानिर्देश के तहत इस भुगतान को करने के लिए सेल प्रबंधन को अप्रैल 2008 में बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर मंत्रालय को प्रेषित करना था परंतु विडम्बना यह है कि उस वक्त सेल का उच्च प्रबंधन एवं मंत्रालय के अधिकारी विदेश यात्रा पर थे। जिसके कारण उन्होंने सरकारी दिशानिर्देश के तहत दिए गए समय-सीमा के भीतर इस प्रस्ताव को रखने में देरी हुई जबकि उस वक्त सेल के पास हजारों करोड़ रूपये का सरप्लस राशि उपलब्ध थी। उन्होंने सेल अधिकारियों के 11 माह के लंबित पर्क्स एरियर्स का भुगतान करवाने का आग्रह किया।
सेफी ने माननीय इस्पात मंत्री से आग्रह किया कि उन्तीस अधिकारियों के निलंबन को शीघ्र बहाल करने का पुरजोर अनुरोध किया। सेफी ने माननीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का घोर उल्लंघन करते हुए, 29 अधिकारियों को बिना किसी आरोप, जांच या मुकदमे के, यहां तक कि सुनवाई का मौका दिए बिना, सामूहिक रूप से निलंबित कर दिया गया है। श्री बंछोर ने इस मुद्दे को जोर शोर उठाते हुए कहा कि अधिकारियों पर यह कार्यवाही न्यायसंगत नहीं है अतः इन अधिकारियों का शीघ्र ही निलंबन निरस्त किया जाए।
सेफी ने माननीय इस्पात मंत्री को अवगत कराया कि वीआईएसएल की स्थापना 1929 में भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया द्वारा की गयी थी। सन 1998 में तत्तकालीन प्रधानमंत्री श्री एच. डी. देवगौड़ा के प्रयासों से वीआईएसएल का सेल में विलय हुआ था। केन्द्र शासन द्वारा विनिवेश की प्रक्रिया वीआईएसएल में भी चालू की गयी थी। वर्तमान परिस्थितियों में वीआईएसएल का रिवाईवल हेतु निवेश की आवश्यकता होगी क्योंकि विगत कई वर्षों से इस इकाई में कोई निवेश नहीं किया गया है। सेफी ने इस्पात मंत्रालय द्वारा ग्रीन स्टील का उत्पादन भारत में बढ़ाने हेतु प्रयासों की सराहना की तथा वीआईएसएल में ग्रीन स्टील उत्पादन हेतु निवेश की मांग की। वर्ष 2019 से आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों का लंबित प्रमोशन का ज्ञापन भी इस्पात मंत्री को सौंपा गया।