- सांसद ज्योत्सना महंत एवं वित्त मंत्री ओ पी चौधरी को सौंपे गए ज्ञापन।
- बीमा की पालिसी खरीदकर आम नागरिक किसी तरह अपने परिवार की हिफाजत की चेष्टा करते हैं। 18% तक जीएसटी अनुचित।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। जीवन एवं स्वास्थ बीमा पालिसी (Life and Health Insurance Policy) कोई उपभोग की वस्तु नहीं बल्कि भविष्य की सुरक्षा के लिए एक किस्म की जोखिम से अपनी रक्षा है, हालांकि इस रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है, वह तो यह करती नही इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए बीमा की पालिसी खरीदकर आम नागरिक किसी तरह अपने परिवार की हिफाजत की चेष्टा करते हैं।
इसलिए इस पर 18% तक जी एस टी लगाना अनुचित है। यह कोई उत्पाद नहीं है इस पर जी एस टी समाप्त हो और इसके लिए आगामी जी एस टी काउंसिल में पहला हो इसके लिए सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र ने प्रदेश के वित्त मंत्री श्री ओ पी चौधरी से मुलाकात कर एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
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उन्होंने इसके लिए संगठन की ओर से देश भर में बजट सत्र के पूर्व सभी सांसदों से भेंट करने की कड़ी में कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा इस दौरान आर डी आई ई यू के महासचिव सुरेंद्र शर्मा भी उनके साथ थे। उल्लेखनीय है कि बीमा कर्मियों के अ. भा. संगठन आल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के आव्हान पर संसद के बजट सत्र के पूर्व देशभर में सांसदों से मुलाकात कर बीमा उद्योग मे व्याप्त समस्याओं पर ज्ञापन सौंपा जा रहा है।
ज्ञापन में मुख्य रूप से बीमा प्रीमियम से जी एस टी हटाने, बीमा पालिसी धारकों हेतु आयकर छूट में आकर्षक प्रावधान करने, राष्ट्रीय कृत आम बीमा की चारों कंपनियों को एकीकृत करने तथा एल आई सी का विनिवेशीकरण रोके जाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा प्रीमियमों पर 18% जी एस टी से पालिसी धारकों पर अत्यधिक बोझ पड़ रहा है एवं इससे व्यवसाय में वृद्धि प्रभावित हो सकती है, जबकि भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के नेतृत्व में पिछले कार्यकाल में गठित संसद की वित्त संबधी संसदीय स्थाई समिति ने भी इन दरों को तर्कसंगत बनाये जाने की सिफारिश की है।
इसलिए इस बजट में बीमा प्रीमियम से जी एस टी वापस लिये जाने की जरूरत है l भारत में घटती घरेलू बचत के मद्देनजर जीवन बीमा के माध्यम से हो रही बचत को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है और इसलिए बजट में बीमा प्रिमियमों हेतु आकर्षक प्रावधान करते हुए आयकर में छूट बढ़ाई जानी चाहिए।
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जीवन बीमा के माध्यम से एकत्रित प्रीमियम से सरकार को दीर्घकालीन निवेश हेतु एकमुश्त राशि उपलब्ध होती है जो देश के बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के विकास में लगाई जाती है। इसी प्रकार राष्ट्रीयकृत आम बीमा निगम की चारों कंपनियों को एकीकृत कर उन्हें मजबूत किये जाने की जरूरत है ताकि वे आपसी प्रतिस्पर्धा से हटकर निजी कंपनियों का मुकाबला करने में और अधिक सक्षम हो सके।
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मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में देश के सबसे बड़े वित्तीय संस्थान एल आई सी के 3.5% शेयरों का विनिवेशीकरण कर इसे स्टाक मार्केट में सूचीबद्ध कर दिया था। इस महत्वपूर्ण संस्थान से सरकारी अंशधारिता कम करते जाने से देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता ही खतरे में पड़ सकती है।
अत: एलआईसी के विनिवेशीकरण को यही पर रोक दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री एवं सांसद महंत ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यान से सुना तथा संसद सत्र के दौरान इन मुद्दों को उचित रूप से प्रस्तुत किये जाने का आश्वासन दिया।