- पिछले 8 वर्षों से बुजुर्गों द्वारा सहायता की गुहार लगाई जा रही है।
- अनदेखा करने का भला क्या सबब हो सकता है?
- बेचारे EPS 95 के असहाय देश के 78 लाख पेंशनरों ने क्या गुनाह किया है।
- रोजाना अभाव में जीते हुए एक-एक कर राम के प्यारे हुए जा रहे हैं…।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 (Minimum Pension 1000) रुपए के बजाय 7500 रुपए की मांग की जा रही है। लेकिन, सरकार की ओर से इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है।
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पेंशनभोगी Anil Kumar Namdeo ने पीएम मोदी (PM Modi) और ईपीएफओ (EPFO) को आड़े हाथ लेते हुए झकझोरने वाला पोस्ट किया है। EPS 95 न्यूनतम पेंशन पर लिखते हैं कि उनकी तो ये आदत है कि वो कुछ नहीं कहते…।
शायद उनके दिल में ये विश्वास बैठ गया है कि ये जो 78 लाख EPS 95 के पेंशनर्स हैं, उनके किसी काम के नहीं हैं और उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकते। वरना जब उनसे दो-दो व्यक्तिगत रूप से भेंट कर सारी व्याधा मय प्रार्थना के अवगत कराया जा चुका है।
और पिछले 8 वर्षों से बुजुर्गों द्वारा सहायता की गुहार लगाई जा रही है,तब भी अनदेखा करने का भला क्या सबब हो सकता है? बेचारे EPS 95 के असहाय देश के 78 लाख पेंशनरों ने क्या गुनाह किया है। वो तो जिंदगी के ऐसे उम्रदराज लोग है, जो रोजाना अभाव में जीते हुए एक-एक कर राम के प्यारे हुए जा रहे हैं…।
अपने आप को प्रधानमंत्री कहे जाने के बदले प्रधानसेवक मानने वाले आदरणीय से अब भी सभी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद किसी दिन उन पर भी नजर पड़ जाए। उनका मन पसीज जाए…। यही उम्मीद ही तो है जो अब तक बहुतों के जीने का सहारा बनी हुई है,जिसके कारण कुछ अभी भी जिंदा हैं…।
आगे ईश्वर की मर्जी। कितनी बार देश के कोने-कोने बुजुर्ग पेंशनर्स अपनी प्रार्थना लिए दिल्ली पहुंचते रहेंगे? कितनी बार प्रधानमंत्री जी का ध्यान अपने जीवन यापन की भीषण स्थिति से अवगत कराते रहेंगे…? इस बार फिर जुलाई 2024 को दिल्ली में पेंशनर महा आंदोलन करने जा रहे हैं।
यदि सरकार हमेशा की तरह इस बार भी मौन धारण किए बैठती है तो शायद EPS 95 के पेंशनरों को भी अपना कोई अंतिम फैसला लेना लाजिमी होगा…। कहीं तो अनुनय विनय के दौर का अंत तो होना ही चाहिए न?