सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) (BSP) के अंदर काम कर रही महिला कर्मचारियों के साथ आखिर किस तरह का बर्ताव होता हैं, जिसके चलते इस तरह का नोटिस विभाग में कई जगह चस्पा किया गया हैं।
इस नोटिस को देख कर प्रथम दृष्टया यही प्रतीत होता है कि क्या भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के जिम्मेदार अफसरों को इतना भी नहीं मालूम की कोई भी नोटिस या सूचना हस्ताक्षर और अफसर के पदनाम के साथ जारी की जाती हैं। इस तरह से जगह-जगह चस्पा किए गए नोटिस से तो यही प्रतीत होता हैं कि जिम्मेदार महिला कर्मचारियों के सम्मान को कितनी गंभीरता से लेते है।
मिली जानकारी के अनुसार रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल स्थित कैंटीन में दो नेता सरीखे यूनियन से जुड़े कर्मचारियों ने कैंटीन में काम करने वाली महिलाओं से दुर्व्यवहारपूर्वक ढंग से बात की, जिससे नारी सम्मान को जबरदस्त ठेस पहुंची। वह रोने लगी। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना हैं कि उन दोनों व्यक्तियों के व्यवहार से महिला स्वयं को काफी अपमानित महसूस करती रही। पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की बात कह रही थी।
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इस दौरान उन दोनों नेताओं ने माफी मांगने की कोई कोशिश भी नहीं की, जिसके चलते वातावरण खराब होने लगा। जब तक डिपार्टमेंटल मैनेजमेंट के कान तक बात पहुंची तब तक उन्होंने कैंटीन ठेकेदार के जरिए अपमान का घूंट पी रही पीड़ित महिला को शांत करवा कर मामले को रफा-दफा करने की भरसक कोशिश की।
विभाग में कई जगह ऐसे ही बगैर सिग्नेचर और पदनाम के आधा-अधूरा नोटिस चिपका दिया गया है। गौरतलब हैं कि यह प्रकरण मील क्षेत्र का हैं और मील क्षेत्र के जिम्मेदारों ने पूरी तरह मामले को रफा-दफा कर दिया। जब की कार्मिक विभाग ने महिलाओं से जुड़े मामलों की देख-रेख के लिए विभागीय कमेटी का भी गठन कर रखा हैं, जो केवल कागजों तक ही सीमित हैं।
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प्लांट पुरुष प्रधान एरिया हैं। जब यहां के अफसर ही महिला कर्मचारियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को निपटाने की जुगत में रहते हैं। कुछ बात बिगड़ जाए तो बिना नाम, पदनाम और हस्ताक्षर के गैर जिम्मेदाराना नोटिस चस्पा कर अपनी जवाबदेहियों से बचते हुए मामले को निपटा देते हैं। तो आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है कि प्लांट के अंदर जिम्मेदार अफसर महिला कर्मचारियों के सम्मान के प्रति कितना गंभीर हैं। इस तरह महिला अस्मिता से जुड़े मामलों को संज्ञान में लेकर विभागीय स्तर पर गठित कमेटी से जांच करवा कर कार्रवाई की मांग महिला कर्मचारियों ने की हैं।
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