- कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी के सामने मामला उजागर।
- करीब 5000 करोड़ से ज्यादा की बचत कोल इंडिया कर सकती है।
सूचनाजी न्यूज, नागपुर। कोल इंडिया (Coal India) में एक ऐसा मामला कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी (Coal Minister G Kishan Reddy) के सामने उजागर हुआ, जिससे सरकार भी सहम गई। करीब 5000 करोड़ से ज्यादा की बचत कोल इंडिया कर सकती है, जो कर नहीं पा रही है। यह राज कोयला श्रमिक सभा-एचएमएस के अध्यक्ष शिवकुमार यादव ने खोला है।
वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड-डब्ल्यूसीएल (Western Coalfields Limited-WCL) पहुंचे कोयला मंत्री से कंपनी के हित में फैसला लेने की बात कही। स्पष्ट रूप से जानकारी दी कि पॉवर प्लांट को वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स सहित सीआइएल की सहयोगी कंपनियों से सरकारी दर पर कोयला ख़रीदा दिया जाता है। लेकिन, पॉवर प्लांट बिजली बनाने के बाद औद्योगिक दर पर बिजली देता है, जिससे हर साल करीब 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
ये खबर भी पढ़ें: ESIC, श्रम सुधारों, ई-श्रम-असंगठित श्रमिकों पर सरकार की बड़ी तैयारी
बचत कराने की बात को सुनते ही कोयला मंत्री ने सीआइएल के चेयरमैन से दो-टूक कहा कि आप तत्काल पत्राचार शुरू कर दीजिए। यह बात सुनते ही वेकोलि संचालन समिति सदस्य एवं कोयला श्रमिक सभा (HMS) के केंद्रीय अध्यक्ष शिवकुमार यादव ने कहा-आज तक मैंने चार-5 कोयला मंत्रियों का ध्यान आकृष्ट कराया, किसी ने ध्यान नहीं दिया। आपने तत्काल पत्राचार की बात बोलकर सकारात्मक संदेश दे दिया है। इसके लिए आप व्यक्तिगत रूप से बधाई के पात्र हैं।
खर्च 4 रुपए, सीआइएल को बिजली दे रहे 16 रुपए में
–पॉवर प्लांट (Power Plant) का बिजली बनाने का खर्च करीब 4 रुपए प्रति यूनिट आता है। जिस कोल इंडिया से सस्ता कोयला खरीदता है, उसको ही 14 रुपए, 16 रुपए दर पर बिजली बेची जा रही है। जबकि कोल इंडिया 5000 रुपए प्रति टन वाला कोयला 1700 रुपए टन में पॉवर प्लांट को देता है।
-नागपुर एरिया की पाटन सांवगी, सिल्लेवाड़ा खदान, सावनेत, बल्लारपुर, चंद्रपुर की अंडरग्राउंड खदानों से एक टन कोयला निकालने पर करीब 20 हजार का खर्च आता है। 90 प्रतिशत कोयला पॉवर सेक्टर को देना है, जिसका नुकसान भी सीआइएल को हो रहा है। प्रति टन 17 से 18 हजार का नुकसान हो रहा है।
ये खबर भी पढ़ें: मुंह पर अंगुली रखकर खामोशी से बोकारो BAKS ने थमाया हड़ताल नोटिस
-अगर, यही कोयला, पॉवर प्लांट को न देकर, ओपन बाजार में बेचें तो 2000 से 3000 रुपए टन में बिकेगा। प्रति टन कोयला में 2 से 3 हजार रुपए की सीधी बचत हो सकती है। 1700 रुपए रेट अभी हुआ है। 3 साल पहले 1100 रुपए प्रति टन का रेट था।
अडानी संग प्राइवेट कंपनियों की मौज
कोयला श्रमिक सभा के केंद्रीय अध्यक्ष शिव कुमार यादव ने सूचनाजी.कॉम से बातचीत के दौरान बताया कि केंद्र सरकार की नीति का अडानी पॉवर प्लांट समेत कई प्राइवेट कंपनियों को हो रहा है। इन्हें भी सरकारी रेट पर कोयला मिल रहा है।
2015 से सरकार की नीति लागू है, जिसमें प्राइवेट कंपनियों (Private Company) को भी सरकारी दर पर कोयला मिल रहा है।
अडानी पॉवर प्लांट साढ़े 3 हजार रुपए प्रति टन में कोयला लेता था। मोदी सरकार की नीति आने के बाद 1200 रुपए प्रति टन में कोयला मिलने लगा।
ये खबर भी पढ़ें: SAIL बोनस: BAKS बोकारो 19 अक्टूबर को BSL में करेगी हड़ताल