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बोकारो स्टील प्लांट में 11 जुलाई को हड़ताल, सीटू ने बिछाया जाल

बोकारो स्टील प्लांट में 11 जुलाई को हड़ताल, सीटू ने बिछाया जाल

– बोकारो स्टील प्लांट के मजदूरों के बकाया भुगतान, मजदूरों की छंटनी आदि पर चर्चा की गई।
– इस्पात मजदूर मोर्चा (सीटू) की ओर से ब्लास्ट फर्नेस कैन्टीन रेस्ट रूम में ठेका मजदूरों की बड़ी सभा की गई। हड़ताल पर मंथन।

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सूचनाजी न्यूज, भिलाई। मेडिकल जांच के नाम पर मनमाने तरीके से ठेका मजदूरों की छंटनी पर रोक लगाने और ठेका मजदूरों की लम्बित मांगों को प्राप्त करने के लिए 11 जुलाई की हड़ताल को बोकारो स्टील प्लांट में सफल बनाने के लिए सीटू ने अभियान चलाया। इस्पात मजदूर मोर्चा (सीटू) की ओर से ब्लास्ट फर्नेस कैन्टीन रेस्ट रूम में ठेका मजदूरों की बड़ी सभा की गई। बैठक की अध्यक्षता ठेका मजदूर मोतीलाल मांझी ने किया।

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मजदूरों को सम्बोधित करते हुए यूनियन के संयुक्त महामंत्री बीडी.प्रसाद ने कहा कि ठेका मजदूर आज बोकारो स्टील प्लांट का प्रमुख मानव संसाधन है। ठेका मजदूर के बिना बोकारो स्टील प्रबंधन ना तो 1 किलो इस्पात पैदा कर सकता है और ना ही तो ₹1 का मुनाफा कमा सकता है। बावजूद इसके बोकारो स्टील प्रबंधन के द्वारा ठेका मजदूरों का काम, मजदूरी एवं अन्य सुविधाओं के लिए आज तक कोई भी सिस्टम नहीं बनाया गया है।

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प्लांट के स्थाई प्रकृति के सभी प्रकार के काम आज ठेका मजदूर कर रहे हैं। इसलिए ठेका मजदूर सेल की न्यूनतम मजदूरी एवं अन्य सुविधाओं के हकदार है। लेकिन दुख की बात है की बोकारो स्टील प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूरों के लिए कोई मजदूरी नहीं तय की गई है। झारखंड राज्य सरकार की न्यूनतम मजदूरी बोकारो स्टील के ठेका मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी कभी नहीं हो सकती।

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मकान भाड़ा भत्ता, महंगाई भत्ता, साइकिल भत्ता, नाइट शिफ्ट भत्ता,कैंटीन भत्ता आदि किसी भी प्रकार की भत्ता ठेका मजदूरों को नहीं दिया जाता है। स्टील उत्पादन करता है लेकिन इंसेंटिव – रीवार्ड ठेका मजदूरों को देने की कोई सिस्टम नहीं है। ठेका मजदूरों को ग्रेच्युटी से भी वंचित रखा गया है।

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ग्रुप इंश्योरेंस की भी कोई व्यवस्था नहीं है। प्लांट में काम करने के दौरान कार्य स्थल पर दुर्घटना में ठेका मजदूर की मौत हो जाने पर उसके आश्रित को एक स्थाई नौकरी देने की परंपरा जो ठेका मजदूरों ने संघर्ष कर प्राप्त किया है। आज उसको भी प्रबंध खत्म कर रही है, जो ठेका मजदूर के हित के विपरीत है। अब मेडिकल जांच के नाम पर ठेका मजदूरों को मनमानी ढंग से छंटनी कर प्लांट से बाहर करना चाहती है। ठेका मजदूरों के पेट पर लात मरना चाहती है जो कहीं से उचित नहीं है। ठेका मजदूरों में आज काफी आक्रोश दिखाई पड़ रहा है। सभा को संगठन सचिव आर के गोरांई, मुनिलाल मांझी, त्रिलोकी साव, देव कुमार, जोसेफ मुंडा ने भी संबोधित किया।

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