- पूर्व की सरकार ने आखिरी कैबिनेट मीटिंग में न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये तय कर दी थी।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। Employees Pension Scheme 1995: ईपीएस 95 पेंशन का मसला उलझा हुआ है। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के हत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का आंदोलन जारी है। पेंशनभोगी रामकृष्ण पिल्लई का कहना है कि आइए उस सरकार को वापस लाएं जो ईपीएस की जनक है। भारतीय परंपराओं में पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की देखभाल करे।
लेकिन मुझे डर है कि वे 1973 से 1995 तक पारिवारिक पेंशन योजना और 1995 से 2014 तक ईपीएस के तहत अपने प्रदर्शन को पीछे मुड़कर न देखें।
ईपीएस के तहत ईपीएस पेंशन बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। केवल प्रावधान है कि योजना के प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा की जाए। वे समय-समय पर ऐसा कर रहे हैं। मूल्यांकनकर्ताओं की रिपोर्ट के आधार पर, योजना घाटे में है।
वर्तमान सरकार ने केवल 1.9.2014 से पेंशन योग्य वेतन सीमा को 6500 से 15,000 तक संशोधित किया, जिससे उस तिथि के बाद सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन दोगुनी से अधिक हो गई।
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इस सरकार की एक और अच्छी बात यह रही कि 15 साल बाद ब्याज सहित राशि चुकाने के बाद संचार लाभ लेने वालों को पूरी पेंशन बहाल कर दी गई।
पेंशनभोगी ने कहा-पूर्व सरकार की एकमात्र अच्छी बात यह थी कि उसने अपनी आखिरी कैबिनेट मीटिंग में न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये तय कर दी थी। 2014 में चुनाव हारने के कारण वे इसे लागू नहीं कर पाए। मोदी सरकार ने 1.9.2014 से इसे लागू कर दिया।
एक और अच्छी बात जो उन्होंने की वह यह कि उन्होंने 2008 से कम्यूटेशन लाभ और आरओसी वापस ले लिया। अब आप ही तय करें कि कौन सी सरकार बेहतर है। मुझे उम्मीद है कि यह सरकार कुछ करेगी, हमारे नेतृत्व की सीमा तक नहीं।
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