बीएसपी के डीआईसी, ईडी और कर्मचारियों संग Larg Group Interaction का रिजल्ट कब आएगा…

What is the result of Large Group Interaction with DIC ED and employees of BSP
प्रबंधन के इस कदम से उसकी नीयत का अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता। लेकिन पहल अच्छी है। इसे सकारात्मक रूप मे ही लिया जाना चाहिए।

पब्लिक सेक्टर में प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी का नारा तो शुरू से दिया जाता रहा है। लेकिन इसको पूरा होते कभी नहीं देखा गया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) द्वारा पिछले कुछ साल से श्रमिकों के साथ Larg Group Interaction (LGI) कार्यक्रम का आयोजन कला मंदिर में करता आ रहा है। यह कार्यक्रम सोमवार को कला मंदिर में शाम 4 बजे से आयोजित है। डायरेक्टर इंचार्ज अनिर्बान दासगुप्ता समेत सभी ईडी, सीजीएम समेत उच्चाधिकारी मौजूद रहेंगे।

कार्यक्रम मे एनुअल बिजनेस प्लान के अलावा इस वित्तीय वर्ष में अभी तक के नौ माह के परफॉर्मेंस पर चर्चा की जाएगी। दो घंटे चालीस मिनट के इस कार्यक्रम मे भिलाई इस्पात संयंत्र के 29 विभागों से लगभग 150 अधिकारी और 150 ही कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया है। यह पूर्णतः विभाग के विवेक पर छोड़ दिया गया है कि वह किस कर्मी को भेजे और किसे ना भेजे। उद्देश्य यह है कि कला मंदिर भरा रहना चाहिए।

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इस प्रकार से यह तैयारी की जाती है। अब आम कर्मचारी के मन मे यह बात उठती है कि आख़िर उच्च प्रबंधन क्या साबित करना चाहता है। इस तरह के औपचारिक कार्यक्रम का आयोजन करके पब्लिक सेक्टर में प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी का नारा तो शुरू से दिया जाता रहा है। लेकिन इसको पूरा होते कभी नहीं देखा गया।

यूनियन से हट कर आम श्रमिकों का कहना है कि संयंत्र प्रबंधन कर्मचारियों की छोटी-छोटी मांगो को दरकिनार कर रहा है। सब्जैक्ट टू वैकेट जैसी सुविधा बंद कर दी गयी है। सेवानिवृत्त होने की कगार पर पहुंच चुके बहुत से कर्मचारी भिलाई टाउनशिप में ही स्थाई रूप से निवास करने का मन बना चुके हैं।

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और टाउनशिप में ही क्वार्टरों की बहुतायत में संख्या को देखते हुए लाइसेंस का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन 400 स्क्वायर फीट से उपर का क्वाटर देने को तैयार नहीं है। इसी के साथ 39 माह का एरियस पर प्रबंधन कोई सकारात्मक जवाब नहीं देता है।

यहां तक कि पिछले इंट्रैक्शन के कार्यक्रम में कुछ यूनियन के लोगों ने मंच पर बैठे उच्च अधिकारियों से यह सवाल भी किया था, अपने ही साथ काम किए हुए भूतपूर्व कर्मचारियों को रिटेंशन में नौ लाख रुपए जमा करवाने के बाद नोटिस देकर तथा उनके जमानतदार को नोटिस देकर आवास खाली किए जाने की कार्यवाही भी कर्मचारी देख रहे हैं।

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संयंत्र के स्कूल लगभग खत्म हो चुके हैं। एक डीपीएस स्कूल ही है। जहां कुछ कर्मी ही हिम्मत कर पाते हैं अपने बच्चों को पढ़ाने की, क्योंकि यहांकी फीस बहुत है।

इसके बाद इस तरह के कार्यक्रम करके प्रबंधन क्यों अपना उदार चेहरा लिब्रल फेस दिखाना चाहता है। बहरहाल प्रबंधन के इस कदम से उसकी नीयत का अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता। लेकिन पहल अच्छी है। इसे सकारात्मक रूप मे ही लिया जाना चाहिए।