
- ईपीएफओ अधिकारियों के कृत्य को न्यायालय की अवमानना माना जा सकता है।
- सरकार द्वारा ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन के संबंध में की गई कार्रवाई का ब्यौरा क्या है?
- सांसद अरविंद गणपत सावंत ने श्रम और रोजगार मंत्री से लोकसभा में पेंशन पर सवाल पूछा।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension SCheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग की जा रही है। साथ ही भत्ते और मेडिकल को जोड़ने की मांग हो रही है। इस पर सरकार का भी जवाब आ गया है। लोकसभा में सरकार से सवाल पूछे गए। ईपीएस 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) के लाभ को लेकर सांसद अरविंद गणपत सावंत ने श्रम और रोजगार मंत्री से पेंशन पर सीधा सवाल पूछा।
सर्वोच्च न्यायालय ने ईपीएस 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) और उनके आश्रितों को न्यूनतम पेंशन सहित अन्य भत्ते का लाभ देने के संबंध में आदेश पारित किए हैं? साथ ही यह भी पूछा कि क्या सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के कार्यान्वयन के संबंध में कोई आदेश जारी किया है।
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ईपीएस 95 से लाभान्वित पेंशनभोगियों की संख्या सहित तत्संबंधी ब्यौरा क्या है? यदि नहीं, तो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का कार्यान्वयन न किए जाने के क्या कारण हैं और क्या ईपीएफओ अधिकारियों के कृत्य को न्यायालय की अवमानना माना जा सकता है और यदि हां, तो सरकार द्वारा इस संबंध में की गई कार्रवाई का ब्यौरा क्या है?
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सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation-EPFO) पर पूछे गए तीखे सवालों का जवाब श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे (Minister of State for Labour and Employment Shobha Karandlaje) ने जवाब दिया। स्पष्ट रूप से सरकार की तरफ से कहा गया है कि कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस 95) के अंतर्गत अन्य भत्ते लाभों के साथ न्यूनतम पेंशन के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित नहीं किया गया है।