Earned Leave Encashment: कर्मचारियों-अधिकारियों को अब 25 लाख तक नहीं देना होगा टैक्स, जानिए क्या-क्या फायदे

  • सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(10AA)(ii) के तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर की छूट दी जा रही है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अर्जित अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट के लिए अधिसूचना जारी हो गई है। अर्जित अवकाश नगदीकरण हेतु जारी अधिसूचना के संदर्भ में सेफी (SEFI) चेयरमैन और बीएसपी के आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना सेफी व एनसीओए के निरंतर प्रयासों का सुपरिणाम है।

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत संचालित केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की 24 मई 2023 को जारी अधिसूचना के अनुरूप आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) की धारा 10 के खंड (10 कक) के उप-खंड (ii) के तहत केंन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले अर्जित अवकाश के रूप में प्राप्त नगदीकरण की राशि पर 25,00,000 रुपए (पच्चीस लाख मात्र) तक की राशि पर कोई आयकर नहीं देना होगा।

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इस प्रकार जारी अधिसूचना से बीएसपी सहित सेल के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को आयकर छूट का लाभ मिलेगा। यह अधिसूचना 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी मानी जाएगी। विदित हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 01.02.2023 को बजट भाषण में, सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के कार्यकारी अधिकारियों के शीर्ष संस्था नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन जिसमें सेफी भी शामिल है, की मांग को स्वीकार कर लिया था, जिसमें सेवानिवृत्ति के अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा को मौजूदा 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने की मांग की गई थी।

यह उन लाखों गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्हें अपने अवकाश नकदीकरण का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में चुकाना पड़ता था। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं स्टील एक्सीक्यूटिव फेडेरेशन आफ इंडिया ने अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप के लिए केन्द्र सरकार से अलग-अलग माध्यमों से कई बार इस हेतु आग्रह किया था।

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सेफी एवं एनसीओए ने सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट बढ़ाने की मांग की थी। जो वर्तमान में तीन लाख रूपये है उसे पच्चीस लाख रूपये करने का अनुरोध किया था।

विदित हो कि 5वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उच्चतम वेतन लेने वाले शासकीय सेवक, कैबिनेट सचिव, को 30,000 रुपये प्रति माह का मूल वेतन मिलता था। उस समय दस महीने की कुल मूल वेतन 3,00,000 रुपये के बराबर थीं। अब जबकि 6वें और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद, क्रमशः कैबिनेट सचिव को 01-01-2006 से 90,000 रुपये का मूल वेतन और 01-01-2016 से 2,50,000 रूपये मूल वेतन हो गया है।

तदानुसार दस महीने की कुल मूल वेतन क्रमशः 9,00,000 रुपये एवं 25,00,000 रुपये के बराबर होता है। विदित हो कि अधिनियम की धारा 10(10।।)(पप) के तहत वर्ष 1988 में छूट की सीमा 73,400 रुपये थी जिसे वर्ष 2002 में बढ़ाकर 3,00,000 रुपये किया गया था। इस सीमा को विगत 20 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया था।

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एन.सी.ओ.ए. एवं सेफी द्वारा सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को न्याय दिलाने का अनुरोध केन्द्र सरकार से किया गया था। सीमा बढ़ाने के लिए अधिनियम की धारा 10 (10।।) के खंड (ii) के तहत नए राजपत्र अधिसूचना जारी कर, 7वें वेतन आयोग के अनुरूप 01-01-2016 से छूट की सीमा बढ़ाकर 25,00,000/- रुपये करने का भी अनुरोध किया गया है।

विदित हो कि वर्तमान में आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(10AA)(ii) के तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर की छूट दी जा रही है।
परंतु यह छूट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा बैंकों व एल.आई.सी. आदि संस्थानों के कर्मचारियों को यह छूट समतुल्य नहीं दिया जा रहा है।

हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अन्य सभी उद्देश्यों के लिए सरकारी कर्मचारी माना जाता है परंतु जब आयकर में छूट देने की बात आती है तो इस अधिनियम के प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अलग माना जाता है और इसलिए उनके द्वारा प्राप्त अवकाश नकदीकरण राशि पर कर का भुगतान अधिक किया जाता रहा है।

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(10AA)(ii) के तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर की छूट दी जा रही है। पंरतु यह छूट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा बैंकों व एल.आई.सी. आदि संस्थानों के कर्मचारियों को समतुल्य छूट नहीं दी जा रही है।

हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अन्य सभी उद्देश्यों के लिए सरकारी कर्मचारी माना जाता है परंतु जब आयकर में छूट देने की बात आती है तो इस अधिनियम के प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अलग माना जाता है और इसलिए उनके द्वारा प्राप्त अवकाश नकदीकरण राशि पर कर का भुगतान किया जाता है।

एन.सी.ओ.ए. की सितम्बर 2022 में हुई बैठक में केन्द्र सरकार के कार्मिकों की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों पर टैक्स के अधिक भार के कारण उत्पन्न भेदभाव को समाप्त करने की मांग रखी गई थी। विदित हो कि केन्द्रीय कार्मिकों को आवास के लिए नोशनल परक्यूसीट टैक्स, ई.एल. इनकैशमेंट इत्यादि पर टैक्स में छूट प्राप्त है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों को इन सभी मदों पर टैक्स में समान छूट प्राप्त नहीं है।

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने आशा व्यक्त की कि सेवानिवृत्ति के अवकाश नकदीकरण की कर छूट की सीमा को मौजूदा 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने की मांग पूरी होने पर उन लाखों कार्मिकों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्हें अपने अवकाश नकदीकरण का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में चुकाना पड़ता था। सेफी व एनसीओए अपनी अन्य मांगों के लिए हमेशा प्रयास करता रहा है और आगे भी अन्य मुद्दों पर प्रयास करता रहेगा।