Big News: एसआरयू भिलाई का 100% स्ट्राइक रेट, 2 टीमों ने जीते गोल्ड

Big News SRU Bhilai Achieves 100 Percent Strike Rate 2 Teams Win Gold
  • जुलाई 2025 में आयोजित प्रतिस्पर्धा में, एसआरयू भिलाई की टीम ने पहली बार भाग लिया था और रजत पुरस्कार प्राप्त किया था।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। क्वालिटी सर्कल फोरम ऑफ इंडिया (क्यूसीएफआई), भिलाई चैप्टर द्वारा श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस, भिलाई में आयोजित दो दिवसीय चेप्टर कन्वेंशन ऑन क्वालिटी कॉन्सेप्ट्स (सीसीक्यूसी-2025) में देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों से कुल 243 टीमों ने प्रतिभागिता की। उक्त कार्यक्रम में एसआरयू भिलाई की दो टीमों- “सेफेक्स” एवं “सुरक्षा शक्ति” ने हिस्सा लिया और दोनों ही टीमों ने “ स्वर्ण पुरस्कार” प्राप्त किया।

दोनों टीमों का विवरण इस प्रकार हैं

(1) टीम का नाम-सेफेक्स
टीम के सदस्य :
संचालक : शुभम किशोर मिश्रा, वरिष्ठ प्रबंधक (एसआरयू)
टीम लीडर : यू. शिव प्रसाद (इंजीनियरिंग एसोसिएट)
उप लीडर : चंदन सिंह (इंजीनियरिंग एसोसिएट)
सदस्य : ज्ञानेंद्र राजपूत (जूनियर इंजीनियरिंग एसोसिएट)
सदस्य : किरण कुमार निर्मलकर (ठेकेदार कर्मचारी)

(2) टीम का नाम-सुरक्षा शक्ति
टीम के सदस्य:
संचालक : अरुण तानाजी बारकुल, सहायक प्रबंधक (एसआरयू)
टीम लीडर : विनय प्रकाश बारी (इंजीनियरिंग एसोसिएट)
उप लीडर : कार्तिक हाज़रा (इंजीनियरिंग एसोसिएट)
सदस्य : खिलेंद्र कुमार, लालमणि देशमुख (ठेकेदार कर्मचारी)

इस सफलता पर टीम के प्रेरणास्त्रोत एवं संयंत्र के इकाई प्रमुख विशाल शुक्ल ने दोनों टीमों के सभी सदस्यों को बधाई दी एवं उनका उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि “ये हमारे लिए गौरव की बात है कि एसआरयू भिलाई की दोनों टीमों ने स्वर्ण पुरस्कार प्राप्त किया है, जो उनके प्रदर्शन में उल्लेखनीय उछाल (वृद्धि) को दर्शाता है, क्योंकि इससे पूर्व जुलाई, 2025 में आयोजित प्रतिस्पर्धा में, एसआरयू भिलाई की टीम ने पहली बार भाग लिया था और रजत पुरस्कार प्राप्त किया था।”

इंटीग्रेटेड सेफ्टी सर्किल-2025 में भाग लेते हुए एसआरयू भिलाई की पहली टीम सेफेक्स ने “मैकेनिकल रिपेयर शॉप में जोखिम मुक्त कार्य की संस्कृति का कार्यान्वयन” संबंधी विषय पर अपनी प्रस्तुति दी।

वहीं, दूसरी टीम सुरक्षा शक्ति ने “गर्म कार्य को सुरक्षित बनाना विषय के अंतर्गत बकेट लिफ्ट के मरम्मत कार्य के दौरान आग लगने से बचाव” संबंधी विषय पर अपनी प्रस्तुति दी । दोनों ही टीमों ने फ्लोर- डायग्राम एवं ट्री-डायग्राम के माध्यम से अपने-अपने कार्य क्षेत्र में 50 विभिन्न प्रकार के खतरों की पहचान एवं संबंधित जोखिम का मूल्यांकन करते हुए अधिक जोखिम स्कोर वाले कार्य पर अपनी प्रस्तुति दी।