SAIL पैसा देकर सलाह मांग रहा, अपने अस्पतालों को निजीकरण के रास्ते में कैसे धकेलें…

SAIL is Seeking Advice on how to Push its Hospitals Towards Privatisation by Making Payments
  • सेल प्रबंधन ने 1999 में मैकेंन्सी नाम की एक कंसल्टेँसी फर्म को बुलाया था, जिसका एनजेसीएस द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया था।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के अस्पताल को निजी हाथों में देने के लिए प्रबंधन द्वारा उठाए जा रहे कदम के विरोध में सीटू द्वारा विरोध पत्र देने, ऑफिसर एसोसिएशन, अन्य यूनियनों द्वारा अपने-अपने स्तर पर किए जा रहे विरोध कार्रवाइयों एवं बयानों के बीच प्रबंधन का यह जवाब सामने आया है कि प्रबंधन अस्पताल के संदर्भ में परामर्श (कंसल्टेशन) लेने हेतु एक संस्था को नियुक्त किया है। अभी तक अस्पताल को निजी हाथों में देने का फैसला नहीं लिया गया है।

इस पर सीटू का दो टूक सवाल है कि संयंत्र से लेकर सेल तक लाखों लाख रुपया वेतन लेने वाले कई उच्च एवं विद्वान अधिकारी मौजूद हैं। अच्छे सलाह एवं परामर्श देने वाले सैकड़ो कर्मचारी मौजूद हैं। ऐसे में हमारे सार्वजनिक उद्योग के एक बेहतरीन अस्पताल के रखरखाव एवं संचालन के संदर्भ में एक बाहरी संस्था से परामर्श लेने का क्या तुक है?  सीटू कार्यकारिणी समिति की बैठक में ये बातें सामने आई है।

यूनियनें, ओए दे सकती है बेहतर कंसल्टेशन, हॉस्पिटल को बेहतर बनाने के लिए

सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि संयंत्र में कार्यरत विभिन्न यूनियन अलग-अलग समय पर अस्पताल की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देते रहे हैं। ऑफिसर एसोसिएशन भी कई मौके पर अस्पताल के संदर्भ में अपने सुझाव पेश करता रहा है। एमबीबीएस अथवा पोस्ट ग्रेजुएशन के स्तर पर मेंडिकल कॉलेज खोलने, अस्पताल में कंसल्टेशन फीस को कम करने, टेस्ट में होने वाले खर्च को तुलनात्मक रूप से कम करने सहित कई बातें लिखित रूप से भी प्रबंधन के सामने पेश किए जा चुके हैं।

किंतु प्रबंधन उनमें से किसी भी बात को संज्ञान में लेकर उचित कदम नहीं उठाया। अब किसी बाहरी संस्था को बुलाकर उसे लाखों लाख रुपया फीस देकर सलाह मांग रहा है कि हम अपने सार्वजनिक क्षेत्र की बेहतरीन अस्पताल को कैसे संचालित करें। या यू कहां जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हम कैसे अपने अस्पताल को निजीकरण के रास्ते में धकेले।

सीटू नें दिया था 29 सूत्रीय मांग पत्र जिस पर चर्चा करने से कतरा रहा है हॉस्पिटल प्रबंधन

सीटू ने अस्पताल की बेहतरीन के लिए पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रवींद्रनाथ को 29 सूत्रीय मांग पत्र देकर मांग किया था कि इस पर अस्पताल प्रबंधन के सामने अपनी बातों को रखना चाहते हैं। जिस पर उन्होंने कहा था कि हमने अपनी टीम को आपका मांग पत्र सौंप दिया है। हमारी टीम जवाब बना रही है। जल्द ही आपके मांग पत्र पर चर्चा करेंगे।

यह कहते-कहते उन्होंने समय बिताया और अस्पताल से सेवानिवृत्त हो गए। अब उनकी वही टीम अस्पताल के जिम्मेदारी में है। किंतु सीटू के द्वारा दिए गए मांग पत्र के उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कतरा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन के कतराने की वजह अब समझ में आ रही है कि शायद उन्हें पहले से ही मालूम था कि अस्पताल के संदर्भ में बाहर से सलाह ली जा रही है। ऐसे में यदि यूनियन से कोई चर्चा होगी तो उनके लिए उच्च प्रबंधन की ओर से नई समस्या पैदा हो सकती है।

बहुत पहले मैकेंन्सी आई थी, ऐसे ही परामर्श देने और सेल को तोड़ने

सीटू नेताओं ने बताया कि बहुत पहले जब सेल पर घाटे के बादल मंडरा रहे थे, तब सेल प्रबंधन ने 1999 में मैकेंन्सी नाम की एक कंसल्टेँसी फर्म को बुलाया था, जिसका एनजेसीएस द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया था। उस परामर्श संस्था ने सेल को सलाह दिया था कि सेल को लॉन्ग प्रोडक्ट एवं फ्लैट प्रोडक्ट को रूप मे दो टुकड़ो में तोड़ दो, जिसमें भिलाई एवं दुर्गापुर लॉन्ग प्रोडक्ट यूनिट होंगे। बोकारो एवं राउरकेला फ्लैट प्रोडक्ट यूनिट होंगे, जिसका जबरदस्त विरोध हुआ एवं सेल को तोड़ने का सपना मात्र सपना रह गया।