कंधे पर छोटा लाउडस्पीकर और हाथ में आरती पात्र। मौजूद लोगों को आस्था के नाम पर गंगा में फूल-माला, भगवान की तस्वीरें, कपड़े, पोथी-पत्रा आदि सामग्रियों न डालने और साबुन शैम्पू लगा न नहाने की सलाह देते हैं।
विकास पाठक, वाराणसी। राजा भगीरथ के प्रयास से मोक्षदायिनी गंगा आज के दिन यानी गंगा दशहरा पर धरती पर अवतरित हुई थीं तो उन्हें निर्मल बनाने के लिए काशी नगरी के युवा राजेश शुक्ला ‘भगीरथ’ बने हैं। इनके दिन की शुरुआत ही घाटों के किनारे गंगा की तलहटी में जमा कचरा निकालने से होती है।
जाड़ा हो या गर्मी या बरसात, हर दिन सुबह नींद खुलते ही घर से निकल गंगा से कचरा निकालना और गंगा में गंदगी न फेंकने के लिए लोगों को जागरूक करना दिनचर्या का हिस्सा है। यह काम दो-चार महीने से नहीं, लगातार पांच साल से करते आ रहे हैं। आर्थिक मदद लिए बिना राजेश अकेले चले थे। लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
गंगा किनारे बसे पक्का महाल यानी पुरानी काशी के गढ़वासी टोला मोहल्ले में पले-बढ़े राजेश शुक्ला एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं। दिनभर काम में व्यस्त रहने और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ राजेश रोज पौ फटते ही घर से सदानीरा तट के लिए निकल लेते हैं।
कंधे पर छोटा लाउडस्पीकर और हाथ में आरती पात्र। किसी भी घाट पर पहुंच पहले मां गंगा की आरती करना और फिर वहां मौजूद लोगों को आस्था के नाम पर गंगा में फूल-माला, भगवान की तस्वीरें, कपड़े, पोथी-पत्रा आदि सामग्रियों न डालने और साबुन शैम्पू लगा न नहाने की सलाह देते हैं। आधे घंटे का समय बीतने के बाद इनका असली काम शुरू होता है गंगा में उतर जमा कचरा बाहर निकालने का। इसका असर दिखने से अब लोग दूषित सामग्री फेंकने वालों को टोकने लगे हैं।
मन विचलित हुआ तो ठान ली
राजेश बताते हैं कि गंगा किनारे रहने की वजह से वहां के वातावरण और परिवेश से बेहद लगाव है। बचपन से ही सुबह उठकर गंगा किनारे टहलने की आदत रही। आस्था ने नाम पर पूजा-पाठ की सामग्री से लेकर भगवान की फोटो आदि गंगा में फेंकने, खासकर दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के गंगा में पुराने व नए कपड़े छोड़ने की परंपरा से धीरे-धीरे गंगा का किनारा दूषित होने लगा।
इसे देख मन विचलित होता था। बनारस के सांसद बनने के बाद अस्सी घाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फावड़ा चला स्वच्छता अभियान का श्रीगणेश किया तो उसी दिन राजेश ने भी सदानीरा को स्वच्छ करने की ठान ली। संकल्प लिया और जी जान से जुटे हैं।
अकेले चले, अब सैकड़ों का साथ
गंगा को साफ करने का बीड़ा आज के ‘भगीरथ’ राजेश शुक्ला ने पांच साल पहले भले ही अकेले उठाया, लेकिन उनके प्रयासों को देखते हुए अब तमाम लोग अभियान से जुट गए हैं। गंगा विचार मंच के नाम से सभी 84 घाटों पर बनी समितियों में 15 से 20 लोग शामिल हैं तो दो दर्जन लोगों का कोर ग्रुप भी बना है।
महिलाएं भी अब जुड़ने लगी हैं। कोर ग्रुप के लोग रोज सुबह राजेश शुक्ला के साथ किसी न किसी घाट पर सफाई करते दिख जाएंगे। मेले और पर्वों पर नहान के मौके पर यह ग्रुप नावों से घूम श्रद्धालुओं से गंगा में कुछ भी न डालने के लिए अपील करता है।
करसड़ा जाता है कचरा
अपने संकल्प को पूरा करने के लिए राजेश शुक्ला व उनकी टीम रोज गंगा में जमा कम से कम 50 किलो कचरा निकालती है। यह काम मशीन से नहीं बल्कि हाथों से करते हैं। निकाले गए कचरे को करसड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट भेजा जाता है।
पीएम मोदी भी टोक चुके
गंगा हों या सड़क या फिर कोई और जगह। हर तरफ गंदगी फैलाने की आदत के लिए मशहूर बनारसियों को उनके सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार बातों-बातों में उलाहना दे चुके हैं। लोकसभा चुनाव में महाजीत के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बनारसियों पर तंज कसते हुए कहा था, हम उसी मां को गंदा करें, जिनका जयकारा लगाएं तो यह सही नहीं है। हमे सोच बदलने की जरूरत है। अब बनारस के ही छोरे ने अपनों की आदत बदलने का जिम्मा उठाया है।