एटक का सम्मेलन शुरू, बोकारो में सेल और सरकार के खिलाफ निकली भड़ास

  • सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण यहां के दबे कुचले शोषित वर्ग के उत्थान के लिए हुआ था। लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। एटक का छठा राज सम्मेलन बोकारो में शुरू हो गया है। सेक्टर-2 कला केंद्र में आमसभा के साथ शुरू हुई। सभा की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने किया। सभा में कोयला के नेता अशोक यादव तथा लखन लाल महतो, एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विद्यासागर गिरी, सीता सोरेन के साथ दुल्लू महतो, पीके गांगुली और यूनियन के महामंत्री रामाशय प्रसाद सिंह ने संबोधित किया।

ढुल्लू महतो ने संबोधित करते हुए कहा एआईटीयूसी मजदूर हित में लगातार लड़ाई लड़ती है। उद्योग बचाने तथा मजदूरों के अधिकार के लिए हम लड़ाई में शामिल हैं। गरीबों के लिए काम करते हैं। मुकदमा झेलना पड़ रहा है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है।

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सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य का निर्माण यहां के दबे कुचले शोषित वर्ग के उत्थान के लिए हुआ था। लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा देश की मोदी सरकार मजदूर विरोधी है। इस सरकार को उखाड़ फेंको।

अमरजीत कौर ने कहा कि एटक का झंडा जब थामा है तो सरकार की आंख से आंख मिलाकर मजदूर वर्ग की हिफाजत के लिए आगे बढ़ना होगा। बिरसा मुंडा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में बिरसा मुंडा के विद्रोह को भुला नहीं जा सकता।

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मजदूरों की लड़ाई ने देश को आजाद कराया। जब-जब आजादी की लड़ाई धीमी हुई, मजदूर ने भारत में हड़ताल धरना-प्रदर्शन कर इस लड़ाई को आगे बढ़ाया। मजदूरों ने अंग्रेजों से लड़कर अपने अधिकार को हासिल किया। और अपनी सुरक्षा के लिए कानून बनवाया।

जिसे यह मोदी सरकार बदलने की साजिश कर रही है, जिस इसके खिलाफ लामबंद होकर लड़ाई को तेज करनी होगी या तो यह काला श्रम कानून जाएगा या मोदी सरकार जाएगी। देश की मौजूदा मोदी सरकार सर्वजन इन क्षेत्र के उद्योग को औने पौने भाव में अपने मित्र उद्योगपतियों को बेचने और सार्वजनिक क्षेत्र को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है।

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यह काला श्रम कानून जाएगा या मोदी सरकार जाएगी। देश में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग मजदूरों के हित के लिए सबसे आगे कुर्बानी देने के लिए एआईटीयूसी खड़ा है। आज इस देश के उद्योग को बचाने तथा मजदूरों को बचाने के लिए लड़ाई जारी है।

निजीकरण तथा संसाधनों को बेचने और अपने प्रिय मित्रों के हाथों को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार हर कदम पर नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है। लड़ाई मजदूर पर करनी होगी, क्योंकि यह साल सार्वजनिक क्षेत्र को बचाने मजदूरों को बचाने तथा उद्योगों को बचाने के लिए आपके पुरानी पेंशन को चालू कराने के लिए संघर्ष का होगा।