
- अस्थायी कचरा डंपिंग स्थलों पर निर्भरता बढ़ रही है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो रही हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई शहर (Bhilai City) की स्वच्छता व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अंबिकापुर मॉडल को अपनाने की जरूरत है। वर्तमान में, भिलाई में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिससे स्वच्छता रैंकिंग पर भी प्रभाव पड़ रहा है। अंबिकापुर द्वारा अपनाई गई विकेन्द्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली एक सफल उदाहरण है, जिसे भिलाई में लागू किया जाना चाहिए।
अंबिकापुर मॉडल क्यों आवश्यक है?
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर ने 2015 में विकेन्द्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को अपनाकर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इस मॉडल के तहत स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाएँ घर-घर जाकर कचरा एकत्र करती हैं और उसका वैज्ञानिक पृथक्करण करती हैं।
विकेन्द्रीकृत प्रणाली के तहत शहर को कई जोनों में विभाजित कर प्रत्येक जोन में एक ठोस एवं तरल संसाधन प्रबंधन (SLRM) केंद्र स्थापित किया गया है।
तीन-स्तरीय कचरा पृथक्करण किया जाता है। घरों में, मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) केंद्रों में, और स्वच्छता पार्कों में।
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कचरे से आय सृजन के लिए प्लास्टिक कचरे को पुनर्चक्रित कर ग्रैन्यूल बनाया जाता है, जबकि गैर-पुनर्चक्रण योग्य कचरे को RDF (Refuse-Derived Fuel) में बदलकर सीमेंट संयंत्रों में उपयोग किया जाता है।
स्वच्छता रैंकिंग में सुधार के साथ-साथ यह मॉडल स्थायी रोजगार और पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित करता है।
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भिलाई में इस मॉडल को लागू करने की जरूरत क्यों?
भिलाई की स्वच्छता रैंकिंग अपेक्षा से कम है, जिससे नगर निगम को हर वर्ष भारी जुर्माने और सफाई व्यवस्था में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
अस्थायी कचरा डंपिंग स्थलों पर निर्भरता बढ़ रही है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो रही हैं।
स्थानीय रोजगार के अवसर सीमित हैं, जबकि अंबिकापुर मॉडल के तहत SHG की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
ठोस अपशिष्ट से आय सृजन के अवसर उपलब्ध कराकर नगर निगम की वित्तीय निर्भरता को कम किया जा सकता है।
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क्या कदम उठाने होंगे?
नगर निगम और भिलाई टाउनशिप को संयुक्त रूप से एक विकेन्द्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना बनानी होगी।
स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर उन्हें कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
प्रत्येक वार्ड में SLRM केंद्रों की स्थापना करनी होगी।
उपयोगकर्ता शुल्क और पुनर्चक्रण से राजस्व मॉडल विकसित किया जाना चाहिए।
नागरिकों को जन-जागरूकता अभियानों और प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से इस प्रणाली से जोड़ा जाना चाहिए।
अंबिकापुर की सफलता को अपने शहर में दोहराए
भिलाई में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए अंबिकापुर मॉडल को अपनाना आवश्यक और अनिवार्य हो गया है। इससे न केवल शहर की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक आत्मनिर्भरता और स्थानीय रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा। अब समय आ गया है कि भिलाई नगर निगम इस दिशा में ठोस कदम उठाए और अंबिकापुर की सफलता को अपने शहर में दोहराए।
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