बीएसपी प्रबंधन ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है कि वह लीज एग्रीमेंट का दस्तावेज सरकार को उपलब्ध करा देगा। इसके बाद राज्य सरकार ही पूरी प्रक्रिया को अमल में लाएगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल हाउस लीज को लेकर गहमागहमी का दौर जारी है। छत्तीसगढ़ सरकार के आदेश पर 22 साल बाद भिलाई स्टील प्लांट द्वारा लीज पर दी गई जमीन पर रजिस्ट्री का आदेश जारी हुआ है। अब सवाल ये उठाया जा रहा है कि रजिस्ट्री जमीन पर होगी या कंस्ट्रक्शन पर। या जमीन और मकान को रजिस्ट्री के दायरे में लाया जा रहा है।
इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। बीएसपी से रिटायर हो चुके कर्मचारी और अधिकारी नगर सेवाएं विभाग का चक्कर काट रहे हैं। लीज सेक्शन में बुजुर्गों का तांता लग रहा है। टीए बिल्डिंग के अधिकारी से सवालों की झड़ी लग रही है। बीएसपी के कार्मिकों का कहना है कि अगर, मकान और जमीन पर एक साथ रजिस्ट्री होती है तो इसका शुल्क काफी अधिक होगा।
चर्चा है कि पहले सिर्फ जमीन पर रजिस्ट्री पर कराई जाएगी। इसके बाद लीजधारियों को बुलाकर कंस्ट्रक्शन के बाबत बातचीत की जाएगी। इसका मतलब यह है कि लीजधारियों की मुसीबत खत्म नहीं होने वाली है।
बीएसपी प्रबंधन ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है कि वह लीज एग्रीमेंट का दस्तावेज सरकार को उपलब्ध करा देगा। इसके बाद राज्य सरकार ही पूरी प्रक्रिया को अमल में लाएगा। इसके अलावा बीएसपी का कोई रोल नहीं है। रजिस्ट्री के वक्त बीएसपी साइन कर देगा। सरकार के खाते में जो चढ़ जाएगा। इसके बाद स्ट्रक्चर का वैल्यूएशन किया जाएगा।
दूसरी तरफ नियमतीकरण की प्रक्रिया का अधिकार बीएसपी के पास है। इस बाबत भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने फरवरी में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि भिलाई नगर निगम नियमतीकरण नहीं कर सकता है। अब ऐसे में निगम लीज रजिस्ट्री के केस में कैसे हस्तक्षेप करेगा। ऐसे में भिलाई निगम की भूमिका क्या होगा?
वहीं, एक और बड़ा सवाल ये है कि 2001 से 2003 के बीच जो एग्रीमेंट हुआ, उसका आज रजिस्ट्री कराना और नई दर से, कहां तक उचित है। क्या कानूनी नजर से इसे ठीक ठहराया जा सकता है। कुल मिलाकर यह बात सामने आ रही है कि जमीन की पहले रजिस्ट्री करेंगे। ऑडिट ऑब्जेक्शन होगा। फिर लीज धारियों को बुलाकर मामला हल कराया जाएगा।