- लाइब्रेरी और रिकॉर्ड रूम समेत पुराने कोर्ट भवन के कई इलाकों की दीवारों और छत में पानी का रिसाव पाया गया।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा इस वक्त काफी सुर्खियों में हैं। अपनी सक्रियता से हर किसी का ध्यान खींच लिया है। कामकाज को लेकर तारीफ हो रही है। वहीं, जिला न्यायालयों में भी हर कोई हरकत में आ गया है। औचक निरीक्षण के लिए कब और कहां पहुंच जाएं, इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है।
उच्च न्यायालय के प्रकरणों की सुनवाई के बाद गुरुवार को उन्होंने बेमेतरा जिला न्यायालय का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने सभी न्यायालय कक्षों, वाहन पार्किंग, साफ-सफाई, शौचालय एवं अधिवक्ताओं एवं पक्षकारों के लिए व्यवस्था का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया। सुविधाओं में सुधार के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गए।
निरीक्षण के दौरान लाइब्रेरी (Library) और रिकॉर्ड रूम (Record Room) समेत पुराने कोर्ट भवन के कई इलाकों की दीवारों और छत में पानी का रिसाव पाया गया। वकील के कमरे में पानी के रिसाव पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई। निरीक्षण के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बृजेन्द्र कुमार शास्त्री, कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा, एसपी भावना गुप्ता, एसडीएम सुरुचि सिंह एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे और उन्हें सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिए हुए।
ये खबर भी पढ़ें: Chhattisgarh News: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए बड़ा फैसला
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने 5 से 10 साल पुराने लंबित मामलों पर चर्चा करने के लिए न्यायिक अधिकारियों के साथ बैठक की और पुराने मामलों, खासकर सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मामलों के निपटारे को प्राथमिकता देने के निर्देश जारी किए।
ये खबर भी पढ़ें: EPS 95 Pension: सरकार और EPFO पर भड़के पेंशनर्स, देशभर में हंगामा का प्लान तैयार
औचक निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं से भी बातचीत की और उनकी चिंताओं को दूर किया। निरीक्षण के दौरान रजिस्ट्रार जनरल अरविंद कुमार वर्मा और अतिरिक्त रजिस्ट्रार सह पीपीएस एमवीएलएन सुब्रमण्यम भी उनके साथ थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में मात्र तीन माह ही हुए हैं। इस अल्प अवधि में उन्होंने विभिन्न जिला न्यायालयों और बिलासपुर सेंट्रल जेल का औचक निरीक्षण कर व्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिये हैं। परिणामस्वरूप, बुनियादी ढांचे और कामकाजी परिस्थितियों में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं।