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SAIL हाउस लीज पर भाजपा ने तोड़ी चुप्पी, कहा-किसी को नहीं मिल रहा मालिकाना हक, मेयर-विधायक खेल रहे रेवेंयू वसूली का खेल

SAIL हाउस लीज पर भाजपा ने तोड़ी चुप्पी, कहा-किसी को नहीं मिल रहा मालिकाना हक, मेयर-विधायक खेल रहे रेवेंयू वसूली का खेल
  • यह रजिस्ट्री नहीं है। लीज डीड को रजिस्टर्ड कराया जा रहा है। जिसे रजिस्ट्री के नाम पर गुमराह किया जा रहा है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई टाउनशिप में सेल हाउस लीज रजिस्ट्री को लेकर दो दिन से चल रही गहमा-गहमी पर अब भाजपा ने चुप्पी तोड़ दी है। भाजपा कहना है कि लीज डीड रजिस्टर्ड किया गया है, जिसे रजिस्ट्री कहना गलत है। कांग्रेस के नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं। राज्य सरकार का राजस्व बढ़ाने के लिए कांग्रेसी यहां लोगों को गुमराह कर रही है। अपना फायदा करने के लिए राजस्व बढ़ाने जा रहे हैं।

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इस डीड रजिस्टर्ड से जनता को क्या फायदा मिलने वाला है। क्या लीजधारियों को मालिकाना हक दे दिया गया है? अगर, मालिकाना हक दिया गया है तो बीएसपी के डायरेक्टर इंचार्ज, विधायक, महापौर, जिला प्रशासन स्पष्ट रूप से बोलें कि लोगों को मालिकाना हक दिया गया है। इसे राजपत्र में घोषित किया जाए। कलेक्टर आदेश जारी करें कि कोई भी बैंक अगर इनको लोन नहीं देते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।

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पार्षद पीयूष मिश्रा ने बताया कि अपने चिर परिचित स्वभाव के अनुरूप ही कांग्रेस नेता लोगों को आधी-अधूरी जानकारी देकर गुमराह कर रहे हैं। भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव और महापौर नीरज पाल बीएसपी प्रबंधन द्वारा हाउस लीज स्कीम 2002-03 के तहत 4500 संयंत्र कर्मियों और उनके आश्रितों को आवंटित लीज आवासों की लीज डीड पंजीयन का ऐसा ढिंढोरा पीट रहे हैं, मानो लीजधारकों को आवास का स्वामित्व मिल गया है।

वास्तव में यह बीएसपी प्रबंधन और लीजधारकों के बीच हुए एग्रीमेंट का पंजीयन मात्र है, जो कि आमतौर पर 11 महीने से अधिक के किराया करारनामा पर सामान्य नागरिकों के लिए भी अनिवार्य है। इससे लीजधारकों का बहुत ज्यादा लाभ होगा, ऐसा कुछ भी नहीं है। इससे शासन को पंजीयन नहीं होने से हो रही राजस्व क्षतिपूर्ति की भरपाई अब अवश्य हो जाएगी।

पार्षद ने कहा-भिलाई नगर भिलाई विधायक द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव में लोगों को लीज पर मकान दिलाने का वादा किया गया था जो पूर्ण रूप से खोखला साबित हुआ। अब एक बार फिर चुनाव के ठीक पहले लोगों के सामने उनके द्वारा झूठ लाकर परोसा जा रहा है।

लीज डीड का पंजीयन कराकर एक बार फिर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इस लीज डीड के पंजीयन से केवल शासन को राजस्व की प्राप्ति होगी, लीजधारक को इससे कोई भी विशेष लाभ नहीं मिलने वाला है। इस पूरे प्रकरण में यह सवाल उठता है कि इस पंजीयन के आधार पर मॉडगेज किया जा सकता है क्या ?

श्री मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2002-03 में बीएसपी द्वारा लोगों को 30 वर्ष की अवधि के लिए लीज पर मकान दिया गया था। यहां पर यह जानना जरूरी है कि किसी भी रेट एग्रीमेंट की अवधि 11 माह से अधिक होने पर संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 105 के तहत लीज डीड का पंजीयन आवश्यक होता है। उस समय इस लीज डीड का पंजीयन नहीं हो सका था। इसके कारण शासन को मिलने वाला राजस्व प्राप्त नहीं हो सका था।

इसी राजस्व की प्राप्ति के लिए विधायक द्वारा लोगों को गुमराह किया जा रहा है। विधायक देवेंद्र यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में हाउस लीज स्कीम के छठे फेज का समर्थन किया था। अब जब फिर चुनाव आ रहा है तो जनता झूठे वादे और दावे का हिसाब न मांग ले, इसलिए अब लीज डीड पंजीयन का मामला ले आए हैं और फिर से लोगों को गुमराह कर रहे हैं। विधायक और महापौर जनता की भावनाओं से कब तक खिलवाड़ करते रहेंगे।

पियूष मिश्रा ने बताया कि यहां पर रजिस्ट्री एवं लीज डीड का पंजीयन के बीच के अंतर को समझना जरूरी है। किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री वर्तमान कलेक्टर दर के अनुरूप तय शुल्क पर ही की जाती है और इससे आवेदक को उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक भी प्राप्त होता है। इसके ठीक विपरीत लीज डीड की रजिस्ट्री मात्र एक रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन है, जिससे आवेदक को कोई मालिकाना हक प्राप्त नहीं होगा।

श्री मिश्रा ने कहा कि यहां पर यह बात भी गौर करने वाली है कि नगर निगम जो कि अपने स्वयं की स्वामित्व वाली आकाशगंगा एवं अन्य जगहों पर लीज पर दी गई प्रॉपर्टी का नवीनीकरण आज भी नहीं करा पा रही है। लेकिन केवल चुनाव को ध्यान रखते हुए लोगों को गुमराह करने के लिए बीएसपी की स्वामित्व वाली प्रॉपर्टी के नवीनीकरण की बात कर रहे हैं। ये लोग अनुबंध के पंजीयन कराकर लीजधारकों के बीच प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्राप्त होने का भ्रम फैला रहे हैं।

बीएसपी प्रबंधन कलेक्टर, विधायक भिलाई तथा महापौर लीज धारकों को 6 सवालों का जवाब दें
-क्या लीज डीड का पंजीयन होने से लीज धारकों को आवास और जमीन का मालिकाना हक मिल जाएगा?
-क्या लीज धारक अपने आवास और काबिज जमीन को बीएसपी से एनओसी लिए बिना बैंक में मॉडगेज रख सकेंगे?
-लीज आवासों में जरूरत के हिसाब से किए गए अतिरिक्त निर्माण को अपनी राज्य सरकार से नियमितीकरण करवाएंगे?
-क्या टाउनशीप में भवन निर्माण की अनुज्ञा देने व अनाधिकृत रूप से लीजधारकों के द्वारा किए जा रहे निर्माण पर बीएसपी अब पेनल्टी एवं अर्थदंड नहीं वसूल कर सकेगा?
-क्या अब लीज धारक को मकान/ जमीन खरीदने बेचने के लिए बीएसपी प्रबंधन के पास नहीं जाना पड़ेगा। सीधा रजिस्टार ऑफिस से खरीदी बिक्री हो जाएगी?
-वर्तमान में लीजधारकों के डीड को पंजीकृत किया जा रहा है। क्या वह आगामी 30 वर्षों के लिए की जा रही है या पुराने ही एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड किया आ रहा है?