बीएसएल प्रबंधन एकतरफ इस योग्यता सर्टिफिकेट के आधार को मानकर उसके अनुसार उनकी पोस्टिंग कर दी। दूसरी तरफ उस सर्टिफिकेट पर दिए गए DOB को मानने से इन्कार कर सभी कर्मी पर दबाव बना रही है।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट के 100 कर्मचारी अब अधिकारी बन चुके हैं। ई-0 इंटरव्यू का रिजल्ट जारी होते ही सियासत भी शुरू हो गई है। बीएसपी आफिसर्स जल्द सम्मान समारोह आयोजित करने वाले हैं। फिलहाल, सभी पदोन्नत अधिकारियों को शुभनकामनाएं दी गई है।
वित्त एवं लेखा वरीय प्रबंधक अजय कुमार पाण्डेय, आरएमपी के वरीय प्रबंधक रवि भूषण का कहना है कि वर्तमान में तो ये लोग BSL OFFICERS के ग्रुप में नहीं हैं, पर इन नवप्रदोन्नत अधिकारियों को इस ग्रुप में हम गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं। जल्द ही इनके नंबर को अधिकारियों के सभी ग्रुप में सम्मिलित कर लिया जाएगा।
इधर, चार कर्मचारियों का अधिकारी के रूप में चयन होने के बावजूद रिजल्ट को वेथेल्ड करने पर आरोप लगने शुरू हो गए हैं। बोकारो में मामला यह है कि चारों लोग जिनका प्रोमोशन विथेल्ड किया गया है, इस तरह के सैकड़ों केस हैं। ये लोग अनुकंपा के आधार पर बीएसएल ज्वाइन किए हैं। इनके पिता जब नौकरी ज्वाइन किए थे तो उन्होंने बच्चों का उम्र जिस कॉलम में भरना था अंदाज से जल्दबाजी में भर दिया।
कार्मिक विभाग ने कोई सपोर्टिंग दस्तावेज ( बर्थ सर्टिफिकेट इत्यादि भी नहीं लिया था) वो इम्प्लॉय सुधार का आग्रह आधार या बर्थ सर्टिफिकेट के अनुसार किया, पर प्रबंधन ने सुधार नहीं किया। पिता की मृत्यु के पूर्व ये लड़के अपनी योग्यता सर्टिफिकेट के आधार पर प्राइवेट में कहीं काम कर चुके थे, जहां यूएएन आधार से लिंक भी था, पर पिता की मृत्यु के पश्चात जब बोकारो ज्वाइन किए तो पिता द्वारा डिक्लियर जन्मतिथि, योग्यता प्रमाणपत्र एवं आधार के जन्मतिथि से भिन्न हो गया। यही वजह है कि आज बीएसएल मात्र में ये स्थिति है।
जबकि राउरकेला, भिलाई, दुर्गापुर इत्यादि जगह पर आधार एवं योग्यता प्रमाणपत्र के अनुसार सुधार कर यूएएन से सबका आधार लिंक कर दिया गया। SAIL BSL मात्र का कार्मिक विभाग अड़ा हुआ है। नतीजा यह है कि अनेकों कर्मी को हाईकोर्ट रांची तक दरवाजा खटखटाना पड़ा है। केस तक दायर हो चुका है। अब इन चारों का प्रमोशन भी रोक दिया गया, ताकि दबाव में ये लोग सही DOB को गलत DOB कराने को मजबूर हो जाएं।
बीएसएल प्रबंधन एकतरफ इस योग्यता सर्टिफिकेट के आधार को मानकर उसके अनुसार उनकी पोस्टिंग कर दी। दूसरी तरफ उस सर्टिफिकेट पर दिए गए DOB को मानने से इन्कार कर सभी कर्मी पर दबाव बना रही है। जबकि ईपीएफओ के नियमावली या कोर्ट के लिए आधार या मैट्रिक सर्टिफिकेट सबसे सही जन्मतिथि प्रमाण माना गया है।