बिहार-झारखंड में गहरी छाप और Bokaro इस्पात कामगार यूनियन AITUC के संस्थापकों में शामिल एके अहमद की यादों में खोए BSL कर्मी

BSL workers lost in memories of AK Ahmed, one of the founders of Bokaro ispat kamgar union AITUC
  • झारखंड राज्य के विभाजन के पूर्व नवसृजित बोकारो जिला के भी सचिव पद पर रहे एवं बिहार झारखंड राज्य कमेटी के सदस्य रहे।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो इस्पात कामगार यूनियन एटक के संस्थापकों में से एक एके अहमद की दूसरी पुण्यतिथि पर यूनियन कार्यालय में संकल्प सभा आयोजित किया गया। सभी ने अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दी। संकल्प सभा को संबोधित करते हुए यूनियन के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि एके अहमद एक समर्पित एवं निष्ठावान कम्युनिस्ट व मजदूर नेता आज हमारे बीच नही रहे।

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एके अहमद यानी अबुल खैर अहमद एक ऐसे व्यक्तित्व का बोध कराता है मानो वो अपने कार्य शैली के एकल अर्थात एकमात्र समर्पित व्यक्तित्व थे। आजीवन मजदूर वर्ग और आम जनमानस के बीच में संघर्ष करते हुए अंतिम सांस तक अपने वैचारिक प्रतिबद्धता और संगठन के प्रति निष्ठावान और अनुशासित सिपाही के रूप में जीवन जीते हुए अपने अधूरे कार्यों की जवाबदेही हम सबके कंधों पर देते हुए 24 अप्रैल 2021 को अलविदा कह गए।

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अहमद एक वैसे कम्युनिस्ट थे, जो कम्युनिस्ट विचारों और कांमरेडशिप के भाईचारों को अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श कम्युनिस्ट के रूप में जीवन के अंतिम सांस तक पथविचलित नहीं हुए। वे महत्वाकांक्षाओं को अपने करीब कभी भी फटकने नहीं दिया। वह आज हम सबके बीच नहीं रहने के बाद भी अपने व्यक्तित्व और कृतित्व का प्रेरणादायक आदर्श छोड़ गए हैं, जो हम सभी के लिए मार्गदर्शन करता रहेगा।

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उनका वैचारिक और सांगठनिक मुद्दों पर एक पक्का इरादा और समर्पित भाव की कार्यशैली उनके व्यक्तित्व का पर्याय एवं विशेषता रहा। उन्होंने कहा कि अहमद बोकारो के मजदूर और संगठित असंगठित आंदोलन के संस्थापक के साथ-साथ संयुक्त बिहार और फिर झारखंड राज्य के ट्रेड यूनियन आंदोलन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के आंदोलनों के अग्रिम पंक्ति में शामिल रहे।

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उन्होंने बोकारो में ट्रेड यूनियन स्थापना के साथ साथ लाल झंडा के इस संगठन का संरक्षक की भूमिका अदा करते हुए बोकारो में कम्युनिस्ट पार्टी की शाखा गठन से कार्य शुरू कर संयुक्त बिहार काल में ही धनबाद जिला के पार्टी सचिव पद पर वर्षों तक रहे।

झारखंड राज्य के विभाजन के पूर्व नवसृजित बोकारो जिला के भी सचिव पद पर रहे एवं बिहार झारखंड राज्य कमेटी के सदस्य रहे। पार्टी संगठन के मोर्चा पर कार्य करते हुए जन संगठन मोर्चा में ट्रेड यूनियन मंच पर जीवन प्रयंत कार्यरत रहे। बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के संस्थापक सदस्य के रूप में यूनियन के संस्थापक महासचिव कामरेड चिन्मय मुखर्जी के साथ लगातार नेतृत्व्कारी भूमिका में रहे।

ऑल इंडिया स्टील वर्कर्स फेडरेशन जिसका स्थापना बोकारो में ही हुआ था, के भी संस्थापक सदस्य रहे। बाद में निर्माण मजदूरों की बढ़ती भारी संख्या एवं अहमियत के मद्देनजर 1980 में गठित एचएससीएल कामगार यूनियन के संस्थापक महासचिव के रूप में जीवन प्रयंत कार्यरत रहे। ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स कनफेडरेशन के पदाधिकारी के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर निर्माण मजदूरों, खासकर इस्पात उद्योग के राष्ट्रव्यापी निर्माण मजदूरों की समस्या पर सक्रिय रहे। अहमद का नहीं रहना एक अपूरणीय क्षति है।

उनका एकल व्यक्तित्व की अनोखी कार्यशैली, पार्टी के संगठन और सैध्दांतिक विचारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एवं समर्पण भाव से कार्य करने की जो परंपरा स्थापित की वह हमेशा प्रेरणा प्रदान करेगा। अहमद साहब अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए एक युग पुरुष के रूप में याद किए जाएंगे।हम उनके आजीवन संघर्षों ,मजदूर और कम्युनिस्ट आंदोलन में उनके नि:स्वार्थ योगदान का श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हुए उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प दोहराते हैं।

संकल्प सभा में मुख्य रूप से आरए सिंह, बृजेश कुमार, सत्येंद्र कुमार, बीके लहरी, आरएस डे, नरेंद्र कुमार, एसबी सिंह, उपेन्द शर्मा, गौरी कुमार, कृष्णा राम, अजय कुमार, कृष्णा राम, एमए अंसारी, राजीव, एम बिंदानी, के तिर्की, एसके निषाद, प्राण सिंह, पप्पू, उदय प्रताप, मोइन आलम, एमपी सिंह, गोपाल ठाकुर, आरआर दास आदि मौजूद रहे।

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