BSP Gate Pass Controversy: ठेका मजदूरों के Medical Examination के नाम पर गलतफहमी से बढ़ा टेंशन, ये है सच्चाई

  • छत्तीसगढ़ सरकार के श्रम विभाग के फॉर्म 21 में हर ठेका मजदूर का मेडिकल एग्जामिशन का ब्योरा अपलोड करने की शर्त है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के ठेका मजदूरों के मेडिकल एग्जामिनेशन को लेकर चल रहे विवाद की सच्चाई बहुत कम लोगों को ही पता होगी। पर्दे के पीछे क्या चल रहा है, यह बात आप Suchnaji.com में पढ़ लें। बीएसपी प्रबंधन, ठेकेदार, ठेका मजदूरों के इर्द-गिर्द घूम रही पूरी दास्ता सुरक्षा को लेकर अपनाए जाने वाले कदम की शुरुआत है। जो चार-पांच साल पहले ही अपना ली जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं सका था।

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अब छत्तीसगढ़ सरकार ने सख्ती की और बीएसपी को निर्देशित किया कि सभी मजदूरों की मेडिकल एग्जामिशन की रिपोर्ट, खून जांच, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आदि की रिपोर्ट भी श्रम विभाग की वेबसाइड पर अपलोड की जाएगी। इसी सख्ती को देखते हुए बीएसपी (BSP) ने तय किया कि कंपनी परिसर में ही जांच कराई जाएगी और उसकी रिपोर्ट वेबसाइड पर अपलोड की जाएगी।

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एक-एक मजदूरों पर 1485 रुपए का खर्च आया। बीएसपी ने पहले अपने खर्च पर जांच कराई। इसके बाद तय किया गया कि अप्रैल के बाद से जो भी ठेका होगा, उसमें ठेकेदार जांच का खर्च भी शामिल करें। इसी बात को लेकर ठेकेदारों ने नाराजगी जाहिर की और भ्रष्टाचार तक का दावा कर दिया। ठेकेदारों ने ईएसआइसी हॉस्पिटल से जांच कराने की बात बोली। प्रबंधन ने इसे स्वीकार किया और कहा-आप कहीं भी जांच कराएं, बस उसकी रिपोर्ट प्रबंधन को दें।

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जब ठेकेदारों ने इएसआइसी से संपर्क किया तो वहां जानकारी दी गई कि यहां इलाज की सुविधा है, जांच की नहीं…। प्राइवेट अस्पताल में पूरी जांच के खर्च का ब्योरा लिया गया तो वह करीब साढ़े 3 से 4 हजार तक पहुंच गया। इधर-बीएसपी ने महज 1485 रुपए की बात ही बोली थी। अब बीच का रास्ता निकालने के लिए ठेकेदार बैठकों का दौर शुरू कर चुके हैं।

ठेका मजदूरों का गेट पास एक साल के लिए ही वैध होता है। प्लांट में हो रहे हादसों को देखते हुए मेडिकल एग्जामिनेशन को अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि गंभीर बीमारी से ग्रस्त मजदूरों का इलाज किया जा सके।

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छत्तीसगढ़ सरकार के श्रम विभाग के फॉर्म 21 में हर ठेका मजदूर का मेडिकल एग्जामिशन का ब्योरा अपलोड करने की शर्त है। पहले कहीं से भी मेडिकल रिपोर्ट बनवाकर अपलोड कर दिया जाता था। अब खून, पेशाब, सूगर, किडनी, एक्सरे, इसीजी, अल्ट्रासोनोग्राफी आदि की रिपोर्ट भी अपलोड करना अनिवार्य है। रिपोर्ट की ओरिजनल कॉपी अपलोड करने की शर्त से ही पूरा मामला विवादित हो गया है।

बीएसपी सेफ्टी इंजीनियरिंग विभाग ने एक कांट्रैक्ट बनाया। उल्लेख किया गया जो टेस्ट चाहिए, वह बीएसपी परिसर में ही कराना है। इसका खर्च एक हजार 1485 रुपए का आया। यहीं, ठेकेदारों को गलतफहमी हुई कि रेट गलत डाल दिया गया है। बीएसपी ने तय किया कि आप ही जांच कहीं भी कराइए, उसकी रिपोर्ट दे दीजिए। ईडी पीएंडए के साथ मीटिंग हुई, वहां भी यही तय किया गया कि जहां भी जांच कराइए, उससे कोई मतलब नहीं है, बस सबकी अलग-अलग रिपोर्ट जमा कीजिए।

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