- सेक्टर 2 का एक दलाल तो कहता है कि मुझे 50…दो आपके बिना लिस्ट में आए क्वार्टर करवा दूंगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। पिछले दिनों भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) में सब्जेक्ट-टू-वेकेशन सिस्टम (Subject to Vacation System) को अचानक से बंद कर दिया गया। और इसका करंट क्वार्टर दबा कर बैठे कर्मियों को जबरदस्त तरीके से लगा है। कोई अपने क्वार्टर के तीन लाख मांग रहा था। कोई चार लाख मांग रहा था। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि कई लोग कहते थे क्वार्टर सब्जेक्ट टू वेकेशन में दे रहे हो या बेच रहे हो।
चाहे वह सेक्टर 10 के क्वार्टर हो या सेक्टर 1 के क्वार्टर। मेन रोड के क्वार्टर हो या सेंट्रल रिवेन्यू किनारे के क्वार्टर। लोग लोकेशन के नाम पर लाखों की डिमांड करने लगे थे। चार सीमेंट की चादर लगाकर दो कमरे क्या बना दिए डिमांड इतनी की कर्मी की धरती खिसक जाए। इस पूरे मामले पर कईयों ने ऊपर तक शिकायत की थी, जिसके परिणाम स्वरूप अति का हुआ अंत।
लेकिन अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं और दलाल भी कह रहे हैं थोड़ा इंतजार करो…। सेक्टर 2 का एक दलाल तो कहता है कि मुझे 50…दो आपके बिना लिस्ट में आए क्वार्टर करवा दूंगा। पता नहीं सच्चाई कितनी है या वाकई में उसकी सेटिंग टीए बिल्डिंग में है। लेकिन इतना जरूर है।
सब्जेक्ट टू वेकेशन के नाम पर जिस तरह से अवैध वसूली हो रही थी वह भी लाखों लाखों रुपए की। कर्मचारी यही आस लगाए थे कि बेहतर लोकेशन का एक क्वार्टर मिल जाए। कुछ और साल वहां गुजार लें।
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लेकिन रिटायरमेंट के बाद कुंडली मारकर बैठे थे और क्वार्टर की डिमांड लोकेशन का फायदा उठाकर सब्जेक्ट टू वोकेशन की आड़ में लाखों रुपए मांगने लगे। और कई जगह पर लोग दिए भी हैं। लेकिन कई लोग साल भर से इंतजार में है कि कोई तो मुर्गा मिलेगा। लेकिन अचानक से सब्जेक्ट टू वेकेशन बंद हुआ और इन सबको सांप सुंघ गया।
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लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनकी छटपटाहट बढ़ गई। और अभी खोज रहे हैं उनके क्वार्टर को लाखों की जगह हजारों में देकर अपने खुद के मकान में चले जाएं, क्योंकि यह वही लोग हैं जिनमें से ज्यादातर लोगों के पास खुद के मकान है। लेकिन रिटायरमेंट के बाद यह चाह रहे थे इन्हें कोई बड़ा मुर्गा मिले और उनसे लाखों रुपए सब्जेक्ट टू वेकेशन की आड़ में हड़प लें।
सब्जेक्ट टू वेकेशन का दूसरा पहलू यह भी था कई लोगों के जिनको एकदम जरूरत थी बड़े क्वार्टर की, उन लोगों को कइयों ने बिना पैसे लिए भी क्वार्टर दिया। और दे भी रहे थे। बस कुछ लालची लोगों की वजह से यह पूरी स्कीम ही बंद हो गई और जिसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है।