BSP NEWS: 70 हजार कर्मी होते थे 1 एमटी प्रोडक्शन पर, आज 7 एमटी पर 10 हजार, न रोजगार और न ही क्रय शक्ति

BSP NEWS There were 70 thousand workers for 1 MT production today there are 10 thousand for 7 MT production, neither employment nor purchasing power (1)
भिलाई स्टील प्लांट की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने बीएसपी के हालात पर जताया रोष। कहा-प्रबंधन को ध्यान देना चाहिए।

कार्यपालक निदेशक संकार्य ने सुरक्षा पर विशेष अभियान चलाते हुए ध्यान देने की बात प्रमुखता से लगातार कह रहे हैं, जिसका असर दिखने लगा है।

स्थाई कर्मियों की संख्या लगातार घटते हुए अभी लगभग 10000 रह गई है, जिसमें माइंस भी शामिल है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट में घटते मैनपॉवर पर एक और बयान सामने आ गया है। सीटू के महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि जब भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना की जा रही थी, तब संयंत्र की क्षमता एक मिलियन टन थी एवं संयंत्र में काम करने वाले कर्मियों की संख्या 70000 निर्धारित की गई थी, क्योंकि सार्वजनिक उद्योगों का मकसद आम जन को रोजगार देकर उनका क्रय शक्ति बढ़ाना था, जिससे समाज और देश का विकास हो।

अब संयंत्र में घट रहा है मैन पावर

मौजूदा समय में सार्वजनिक उद्योगों का मायने बदल गया है। सार्वजनिक उद्योगों का अर्थ पूरी तरह से बदल दिया गया है। अब सार्वजनिक उद्योग रोजगार पैदा करने वाला उद्योग नहीं बल्कि मुनाफा पैदा करने वाले उद्योगों में तब्दील होता चला गया है।

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इसीलिए संयंत्र का स्थाई कर्मियों की संख्या लगातार घटते हुए अभी लगभग 10000 रह गई है, जिसमें माइंस भी शामिल है। आने वाले दिनों में यहां मैनपॉवर प्रति माह घटते चले जाएंगे, जिसकी तुलना में संयंत्र में भर्ती लगभग ना के बराबर है। किंतु लगातार ठेका श्रमिकों की संख्या बढ़ती जा रही है।

कर्मचारियों की बदल रही है प्रकृति

सीटू नेता ने बताया कि 7 मिलियन टन का संयंत्र चलाने के लिए 10000 कर्मी पर्याप्त नहीं है। इसीलिए स्थाई कर्मियों को घटाने के साथ-साथ ठेका कर्मियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

अभी संयंत्र में लगभग 30000 ठेका कर्मी कार्यरत है। अर्थात कर्मियों की संख्या के रूप में देखा जाए तो संयंत्र के अंदर 40000 कर्मी कार्यरत है। किंतु उसमें स्थाई प्रकृति के कर्मी 10000 एवं अस्थाई प्रकृति के कर्मी जिन्हें ठेका कर्मी भी कह सकते हैं की संख्या 30000 है, जिसे हम सामान्य भाषा में कहते हैं कि संयंत्र के अंदर 40000 मुंडी काम कर रही हैं।

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अस्थाई कर्मियों के बढ़ने के साथ बढ़ रही है दुर्घटनाएं

निजी उद्योगों के साथ सार्वजनिक उद्योगों को खुले मार्केट में प्रतिस्पर्धा करने की होड़ ने संयंत्र के अंदर अस्थाई कर्मियों की संख्या को लगातार बढ़ता चला गया है, जिनका ना तो संयंत्र में काम पर रखते समय प्रबंधन की ओर से उचित ट्रेनिंग दी जाती है। ना ही ऑन जॉब ट्रेनिंग की कोई ठोस व्यवस्था है, जिसके परिणाम स्वरूप अस्थाई कर्मियों के साथ दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।

इस पर नियंत्रण करने के लिए नए संयंत्र प्रमुख कार्यपालक निदेशक संकार्य ने सुरक्षा पर विशेष अभियान चलाते हुए ध्यान देने की बात प्रमुखता से लगातार कह रहे हैं, जिसका असर भी संयंत्र के अंदर दिखने लगा है।

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