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BSP Workers Union का आरोप: चुनाव से पहले भाजपा का नुकसान कराने Bhilai Steel Plant में आ रहा फेस रीडर सिस्टम

BSP Workers Union का आरोप: चुनाव से पहले भाजपा का नुकसान कराने Bhilai Steel Plant में आ रहा फेस रीडर सिस्टम
  • 39 माह के बकाया एरियर और 50 ग्राम सोना पर मान्यता प्राप्त यूनियन और प्रबंधन मौन। अब इस तरह की व्यवस्था से कर्मियों को चिढ़ाने का आरोप।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 39 महीने के एरियर और 50 ग्राम सोने के आस में बैठे संयंत्र कर्मियों को ठीक लोकसभा, विधानसभा चुनाव के पहले कर्मियों को चिढ़ाने का आरोप लगाया गया है। बीएसपी वर्कर्स यूनियन का कहना है कि बीएसपी प्रबंधन फेस रीडर लगाने का प्रयास कर रहा है। इसका व्यापक असर आने वाले चुनाव में पड़ेगा। इस्पात मंत्री से शिकायत करके बताया जाएगा कि चुनाव के पूर्व ऐसी साजिश रची जा रही है।

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बीएसपी वर्कर्स यूनियन की बैठक में पहुंचे संयंत्र कर्मियों ने संयंत्र कर्मियों ने प्रबंधक के फेस रीडर लगाने के निर्णय का जबरदस्त विरोध किया। कर्मियों ने कहा की एक तरफ कर्मी 39 महीने के एरियर, नाइट शिफ्ट एलाउंस, कैंटीन अलाउंस, नए इंसेंटिव पॉलिसी, चिकत्सा, आवास सुविधा के अभाव में जूझ रही है। जिस पर प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है।

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इन समस्या को हल करने का कोई प्रयास है। वरन राजनैतिक साजिश वश चुनाव पूर्व कर्मियों को चिढ़ाने के उद्देश्य से कर्मियों के ऊपर फेस रीडर का नियम लादना चाहती है। जिसके पीछे किसकी साजिश है। ये जांच का विषय है। इसलिए इस्पात मंत्री को सांसद दुर्ग के माध्यम से पत्र भेजेंगे।

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50 ग्राम सोना और कई लुभावने वादे से यूनियन चुनाव जितनी वाली प्रतिनिधि यूनियन अब कर्मियों को समस्या से जूझते छोड़ लपाता हो चुकी है। फेस रीडर लगाने पर प्रबंधन से साठ गांठ कर रही है। पहले एक चुनाव जीत कर एक यूनियन ने इस्पात भवन में बायो मेट्रिक और गलत प्रमोशन पॉलिसी थोपी, जिससे नए कर्मियों के सम्मान जनक पदनाम के सारे रास्ते बंद हो गए। और अब वर्तमान प्रतिनिधि यूनियन अपने प्रबंधन परसत नीतियों के कारण कर्मियों पर फेस रीडर थोपने का विरोध नहीं कर पा रही है।

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अस्पताल और मकानों की समस्या पर कोई कारवाही नहीं

बैठक में उपस्थित कर्मियों ने कहा कि हॉस्पिटल में डॉक्टर की बहुत ज्यादा कमी है। कर्मियों के लिए केबिन नहीं है और केबिन बनाने की कोई योजना भी नहीं है। रेफरल करवाना बहुत कठिन है।

नगर सेवा विभाग में कोई सुनवाई नहीं है। बड़े अधिकारी कर्मियों से मिलते तक नहीं है। कर्मियों की समस्या वर्षों से पेंडिंग पड़ी रहती है। आयेदिन मकानों के छज्जे गिर रहे है, पर कोई सुनवाई नहीं है।

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गोपनीयता संबंधी चिंताएं

यूनियन का कहना है कि चेहरे की पहचान तकनीक गोपनीयता संबंधी चिंताओं को बढ़ाती है, क्योंकि इसमें व्यक्तियों के चेहरे का डेटा कैप्चर करना और संग्रहीत करना शामिल है। इस बात को लेकर चिंता हो सकती है कि इस डेटा का उपयोग, भंडारण और साझाकरण कैसे किया जा रहा है, जिससे संभावित रूप से उल्लंघन या दुरुपयोग हो सकता है।

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सटीकता के मुद्दे

चेहरा पहचान प्रणाली हमेशा 100% सटीक नहीं हो सकती है। प्रकाश की स्थिति, चेहरे के भाव और उपस्थिति में परिवर्तन (केश, चश्मा, आदि) जैसे कारक पहचान सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे गलत सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।

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लागत और रखरखाव

चेहरा पहचान बायोमेट्रिक सिस्टम लागू करना महंगा हो सकता है। खासकर बड़े पैमाने पर तैनाती के लिए। इसके अतिरिक्त, हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर को बनाए रखने और अपडेट करने से कुल लागत में वृद्धि हो सकती है।

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तकनीकी सीमाएं

चेहरा पहचानने की तकनीक में लगातार सुधार हो रहा है। लेकिन यह अभी भी सिस्टम को चकमा देने के लिए फोटो या वीडियो का उपयोग करने जैसे स्पूफिंग प्रयासों के प्रति संवेदनशील हो सकती है।

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बीएसपी वर्कर्स यूनियन के बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों और उपस्थित कर्मियों ने संयंत्र प्रबंधन के फेस रीडर लगाने का पर जोर विरोध किया। और निर्णय लिया कि सांसद विजय बघेल से मिल कर केंद्रीय इस्पात मंत्री को भेजेंगे, जिससे ऐसी साजिश की जांच हो सके। और  चुनाव पूर्व भिलाई का माहौल न खराब हो सके।

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बैठक में प्रमुख रूप से यूनियन के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता, महासचिव खूबचंद वर्मा, कार्यकारी महासचिव शिवबहादुर सिंह, अतिरिक्त महासचिव दिल्लेश्व राव, उप महासचिव सुरेश सिंह, उपाध्यक्ष अमित बर्मन, प्रदीप सिंह, जोगा राव, मनोज डडसेना, विमल पांडे, संदीप सिंह, लुमेश कुमार, सुरेश सोनी, अशोक शर्मा, राजेश फिरंगी, प्रवीण यादव, नरसिंह राव, रूपेंद्र, धनंजय गिरी, डीपी सिंह (दादू), नितिन कश्यप, राजकुमार सिंह, राजेंद्र साहू, इवराज डडसेना, रहमान, अमितेश पुरोहित, अलकेश्व राव आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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