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BSP का Medical Examination सेंटर आउटसोर्स, अयोग्य घोषित होने लगे मजदूर, नहीं बनेगा गेट पास, मचा हड़कंप

BSP का Medical Examination सेंटर आउटसोर्स, अयोग्य घोषित होने लगे मजदूर, नहीं बनेगा गेट पास, मचा हड़कंप
  • बताया जा रहा है कि लोकल ठेकेदार एक तीर से दो निशाना लगा रहे है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र नियमित कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए संयंत्र भवन में स्वास्थ परिक्षण (Medical Examination) कराता था, उसे आउटसोर्स कर दिया गया है। इसे लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर मजदूरों पर आफत आ गई है। गेट पास से वंचित हो रहे हैं। ठेकेदार से विवाद गहराता जा रहा है। तनाव की स्थिति बनी हुई है। BSP प्रबंधन से मांग की जा रही है कि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाया जाए।

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पीड़ित मजदूरों की ओर से बताया जा रहा है कि हर तीन वर्ष में संयंत्र में कार्यरत कर्मचारियों का मेडिकल टेस्ट होता है। संयंत्र में बढ़ती हुई दुर्घटनाओं को देखते हुए अब इसी माह से ठेका श्रमिकों का भी स्वास्थ्य परीक्षण पीरियोडिकल मेडिकल सेंटर नामक संस्था द्वारा किया जा रहा है। नए भर्ती किये जा रहे ठेका श्रमिकों का भी गेट पास बनाने के लिए फिटनेस इसी संस्था के माध्यम से करवाया जा रहा है। और पुराने कार्यरत ठेका श्रमिकों का भी अब गेट पास रिनुअल के दौरान स्वास्थ परिक्षण इसी संस्था द्वारा कराया जाएगा।

संस्था द्वारा तय पैरामीटर के तहत जांच करते हुए ठेका श्रमिकों को अयोग्य घोषित करते हुए उनको हायर सेंटर में रिफर के लिए कहा जा रहा है। अब असमंजस्य की स्थिति यहां निर्मित हो रही है। ठेका श्रमिकों के लिए कि वह कहां जाए, क्योंकि बीएसपी कर्मचारी तो सेक्टर-9 हॉस्पिटल जाते है ,तो क्या ठेका श्रमिकों को भी रिफर टू हायर सेंटर लिख कर दिए जाने के बाद सेक्टर-9 अस्पताल जाने की पात्रता होगी या उनको सीधे अयोग्य मान कर गेट पास बनाने से वंचित कर दिया जाएगा। यह खौफ ठेकेदारों और श्रमिकों को परेशान कर रहा है।

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन को अविलम्ब पहल कर स्थिति साफ करनी चाहिए, क्योंकि आज की तारीख में यह ठेका श्रमिक ही भिलाई इस्पात संयंत्र की लाइफ लाइन बन चुके हैं और समूचे दुर्ग जिले में भी भिलाई इस्पात संयंत्र की पहचान रोजगार उपलब्ध कराने वाले संस्थान के रूप मे बन चुकी है।

हालांकि भिलाई इस्पात संयंत्र में नियमित कर्मचारियों की भर्ती पूर्व में स्थानीय स्तर पर रोजगार कार्यालय के माध्यम से होती थी, जिसमें की स्थानीय बेरोजगारों को मौका मिलता था। लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। नियमित कर्मचारियों की भर्ती अखिल भारतीय स्तर पर होने के कारण पूर्व की तरह स्थानीय बेरोजगार युवा बीएसपी में भर्ती नहीं हो पा रहे है। अब बीएसपी में नियमित भर्तियां भी कम होती है और अधिकांश कार्य आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है, तो क्षेत्र के बेरोजगार श्रमिक भी ठेका श्रमिक प्रकोष्ठ के माध्यम से भर्ती हो कर रोजगार पा जाते हैं।

संयंत्र को भी भारी मात्रा में मैन पावर सुलभ हो जाता है। संयंत्र की प्रगति में ठेका श्रमिकों का भी बराबर से योगदान रहा है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए संयंत्र प्रबंधन को रिफर टू हायर सेंटर लिखे जाने से जो असमंजस्य की स्थिति निर्मित हुई है उस को सामंजस्य बना कर तत्काल हल करने के लिए पहल करना चाहिए। इसी माह गेट पास बनवाने के लिए स्वास्थ्य परीक्षण किये गए कुछ श्रमिकों की सूची जारी की गई है, जिसमें रेफर टू हायर सेंटर लिखा हुआ है।

पिछले कुछ दिनों से ठेकेदार काफी हाउस में मीटिंग कर रहे है, उसकी मुख्य वजह यही है। स्वास्थ परिक्षण कर रही बिलासपुर बेस्ड संस्था के मुखिया से बातचीत करने जानकारी दी गई है कि फिलहाल स्वास्थ्य परिक्षण बंद कर दिया गया है। लेकिन अयोग्य मात्र तीन से चार प्रतिशत ही हैं।

बताया जा रहा है कि लोकल ठेकेदार एक तीर से दो निशाना लगा रहे है। अभी पिछले कुछ दिनों से बीएसपी बड़ी-बड़ी एजेंसियों को काम दे रही है, लोकल ठेकेदार को नहीं। और लेबर भी खुश है, क्योंकि उनको पेमेंट अच्छा मिल रहा है। अंदर की बात ये है कि ठेकेदार ये मेडिकल टेस्ट का बहाना बनाकर कह रहे है कि यह लोकल श्रमिकों को हटाने का षडयंत्र है। जबकि हकीकत ये है कि लोकल ठेकेदार को किनारे किया जा रहा है। लोकल श्रमिकों को नहीं…।