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BSP दल्ली आयरन ओर माइंस में 5 घंटे प्रोडक्शन बंद कर मजदूरों ने प्रबंधन को झुकाया, मांगें फटाफट स्वीकार

BSP दल्ली आयरन ओर माइंस में 5 घंटे प्रोडक्शन बंद कर मजदूरों ने प्रबंधन को झुकाया, मांगें फटाफट स्वीकार
  • आयरन ओर का उत्पादन ठप होने की वजह से पांच रैक के बजाय करीब 3 या 4 रैक ही भिलाई के लिए डिस्पैच हो पाएगा। बीएसपी को यह नुकसान उठाना पड़ेगा।

सूचनाजी न्यूज, दल्ली। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के मजदूरों ने प्रबंधन को झुकाने का ठोस रास्ता निकाल लिया है। भिलाई स्टील प्लांट के दल्ली आयरन ओर माइंस के मजदूर अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी। इंटक, एटक, जनमुक्ति मोर्चा संग 4 यूनियनों ने संयुक्त रूप से सुबह 6 बजे से 11 बजे तक उत्पादन को ठप करा दिया।

गुरुवार को प्रोडक्शन थमते ही प्रबंधन हरकत में आया। जीएम ने मीटिंग बुलाई। बीएसपी मुख्यालय तक सक्रियता बढ़ी और फटाफट मांगें स्वीकार कर ली गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रबंधन का धन्यवाद बोलकर करीब 12 बजे से उत्पादन को बहाल कर दिया है। इस बीच आयरन ओर का उत्पादन ठप होने की वजह से पांच रैक के बजाय करीब 3 या 4 रैक ही भिलाई के लिए डिस्पैच हो पाएगा। बीएसपी को यह नुकसान उठाना पड़ेगा।

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प्रदर्शन में शामिल इंटक नेता अभय सिंह ने बताया कि सुबह 6 से 11 बजे तक मजदूरों ने दल्ली को बंद रखा था। जीएम माइंस दल्ली के साथ मीटिंग में इंटक से अभय सिंह, तिलक राम मानकर, सजेंद्र प्रसाद, एटक कमलजीत मान, तोरण लाल साहू, के. चंद्राकर, जन मुक्ति मोर्चा से बसंत रावटे के अलावा अन्य यूनियन से मुश्ताक अहमद आदि मौजूद रहे। 39 माह के बकाया एरियर आदि मांग को लेकर सुबह 6 से 7 बजे तक दल्ली माइंस बंद किया गया था।

इसके बाद सुबह 7 से 11 बजे तक दल्ली प्लांट को बंद किया गया। मशीन बंद कर दिया गया। प्रोडक्शन नहीं किया गया। 39 माह के बकाया एरियर, मेडिकल की सुविधा को लेकर काफी आक्रोश था। मेडिकल एग्रीमेंट हो चुका है, लेकिन लाभ नहीं मिल रहा है। इस मामले में जीएसटी को लेकर अड़चन थी, जिसे हल कर लिया गया है। जीएसटी का पेमेंट बीएसपी करेगी, इससे मामला हल हो गया।
वहीं, अनस्किल्ड लेबर से स्किल्ड का काम करा रहे, लेकिन पेमेंट नहीं मिल रहा। अब इन्हें स्किल्ड का दर्जा मिलेगा और ऑपरेशन में भेजा जाएगा।

इसी तरह हितकसा डैम बारिश में 4 माह बंद हो जाता है। इस बीच मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं। ऐसे में मजदूरों को परिवार का खर्च चलाना मुश्किल होता है। इसको देखते हुए प्रबंधन ने रास्ता निकाला है कि यहां के मजदूरों को दूसरे जॉब में काम दिया जाएगा ताकि 4 माह तक इनको राहत मिल सके। वहीं, एक अन्य कंपनी के 92 मजदूरों के प्रमोशन का मामला भी उठाया गया है। इसको भी हल करने की दिशा में सकारात्मक फैसले लिए गए हैं।