सोशल मीडिया से क्या क्रांति लाई जा सकती है…?

  • जागरूकता की कमी उतनी नहीं है, पर समान सोच रखने वाली सशक्त मंच का अभाव ही सबसे बड़ी रुकावट बन कर सामने आती है।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। सोशल साइट्स के महत्व से बहुत से लोग अभी भी अज्ञान हैं। इसे मनोरंजन, टाइम पास का मुख्य जरिया मानने वालों की कमी नहीं। अफवाहों का बाजार गर्म करने में भी लोगों को मजा आता लगता है।

ये खबर भी पढ़ें: Employees Pension Scheme 1995: बजट की उलटी गिनती शुरू, पेंशनभोगी ध्यान दें

साइबर क्राइम भी अपने चरम पर है। सोशल साइट शिक्षा कृषि, चिकित्सा, तकनीकी आदि के विकास में बड़ा योगदान कर रहे हैं। आर्थिक सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में भी सोशल साइट्स की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। लेकिन जब न्याय और अन्याय की बातें रखने की जरूरत होती है तो एक डर सा लोगों के मन में बैठा दिया गया है।

ये खबर भी पढ़ें: ईपीएस 95 हायर पेंशन फंस जाएगी,  बढ़ाएं 31 जनवरी की तारीख

खास कर सरकार या राजनीति या धर्म के संबंध में आप कुछ ऐसा कहना चाहेंगे,जो आपको तो सहीं लगता हो पर जिसके बारे में कहा जा रहा है। वो आपके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर सकता है। बदला ले सकता है तो ऐसे में लोग सोशल साइट्स में खुल कर कहने से अक्सर कतराते रहते हैं।

ये खबर भी पढ़ें: EPFO Big News: अब कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं, इम्प्लायर का झंझट खत्म, घर बैठे कीजिए प्रोफाइल अपडेट

असुरक्षा की भावना के चलते, सोशल साइट्स के महत्व को समझते हुए भी चुप रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं…। जागरूकता की कमी उतनी नहीं है, पर समान सोच रखने वाली सशक्त मंच का अभाव ही सबसे बड़ी रुकावट बन कर सामने आती है, जिसके अभाव में पढ़े लिखे लोग भी अपने आप को नितांत अकेला महसूस करने लगते हैं।

ये खबर भी पढ़ें: EPS 95 Higher Pension: ईपीएफओ का उच्च पेंशन पर बड़ा जवाब, पढ़िए गणना-ब्याज पर क्या कहा

समाज में व्याप्त विसंगतियों को उकेरना, विरोध करना, न्याय की बात करना,बस मन ही मन के अंदर रह जाने हेतु बाध्य हो जाती है। बड़ा कलेजा, बड़ी हिम्मत की बात होती है। जब कोई नदी के बहाव के विरुद्ध तैर कर निकल जाना चाहे।

ये खबर भी पढ़ें: दिन-प्रतिदिन पेंशनभोगियों की संख्या घटती जा रही, 7500 रुपए ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन मिलेगी या नहीं