कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में अंशदान 12% से घटाकर 10%, ईएसआई का घटा कंट्रीब्यूशन, 8 दिन का वेतन काट सकेंगे नियोक्ता

  • बिना नोटिस दिए अनुपस्थित होने पर नियोक्ता को उनके 1 दिन की अनुपस्थिति पर 8 दिन का वेतन काटने का अधिकार होगा।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीद दिवस पर हिन्दुस्तान स्टील एम्प्लॉइज़ यूनियन भिलाई (सीटू) द्वारा शहीदों की स्मृति में एक आयोजन किया गया। सर्वप्रथम शहीदों की तेल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर सभी ने शहीदों को नमन किया। श्रमिक विरोधी श्रम संहिताकरण विषय पर एक पावर पॉइंट प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया गया।

ये खबर भी पढ़ें: राउरकेला स्टील प्लांट से बड़ी खबर, Single Use Plastic पर ये फैसला

पब्लिक सेफ्टी बिल एवं ट्रेड डिस्प्यूट बिल के विरोध में भगतसिंह को मिली थी फांसी

प्रस्तुतीकरण से पूर्व अपने उद्बोधन में सीटू के अध्यक्ष विजय कुमार जांगड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगत सिंह और उनके साथी एक शोषण विहीन भारत का सपना देखे थे और वह अंग्रेजों के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करते हुए फांसी को चुना था। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके सपनों के भारत के निर्माण के लिए उन जन विरोधी नीतियों का विरोध करें एवं एक शोषण विहीन समाज के लिए संघर्ष करें।

ये खबर भी पढ़ें: Bhilai News: 14545 काल करो और घर बैठे 50 रुपए में प्रमाण पत्र पाओ, पेट्रोल-डीजल का पैसा बचाओ

बहरों को सुनने के लिए फेंका गया था सेंट्रल असेंबली में बम

इस अवसर पर अपने उद्बोधनों में वक्ताओं ने कहा कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा ट्रेड डिस्प्यूट बिल तथा पब्लिक सेफ्टी बिल लाया गया था जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक था। पब्लिक सेफ्टी बिल के तहत किसी को भी सुरक्षा की दृष्टि से बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखने का अधिकार शासन को दिया गया था तथा ट्रेड डिस्प्यूट बिल के अनुसार औद्योगिक शांति बनाए रखने के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने एवं श्रमिकों को अपने संगठन को चंदा देने पर रोक लगाने का प्रावधान था। इसके विरोध में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली में बम फेंक कर पर्चा बांटा था और कहा था कि हमने बहरों को जागने के लिए यह धमाका किया है।

ये खबर भी पढ़ें: CBI ने रिश्वतबाज ASI को किया गिरफ्तार, पुलिस वाले ने मांगी थी डेढ़ लाख की रिश्वत

श्रम संहिताओं पर प्रस्तुतीकरण

इस अवसर पर आयोजित प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह समझाया गया कि एक अप्रैल से लागू की जाने वाली श्रम संहिताएं क्या है और किस तरह से इसके माध्यम से कर्मचारियों को गुलाम बनाने की योजना है।

ये खबर भी पढ़ें: पद्म पुरस्कार 2026 के लिए नामांकन शुरू, 31 जुलाई आखिरी तारीख, पढ़ें कौन कर सकता है आवेदन

वर्तमान श्रम अधिकारों के हनन का आवरण है संहिता करण

श्रमिक नेता शांत कुमार ने कहा-प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह समझाया गया कि आजादी के पूर्व और आजादी के पश्चात लंबे संघर्षों से श्रमिकों कर्मचारियों ने जिन अधिकारों को प्राप्त किया है उन अधिकारों को छीन लेने के लिए किए गए संशोधन को छुपाने के लिए सरकार ने 29 श्रम कानून को चार श्रेणियों में बांट कर अलग-अलग श्रेणी को अलग-अलग संहिता का नाम दिया है।

ये खबर भी पढ़ें: कर्मचारी न्यूज: जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ की बैठक में भारत ने इंडस्ट्री, श्रमिक, सेफ्टी पर ये कहा

इसी के तहत 3 श्रम कानूनों को मिलकर वेतन संहिता, 4 श्रम कानूनों को मिलाकर औद्योगिक संबंध संहिता, 9 श्रम कानूनों को मिलाकर सामाजिक सुरक्षा संहिता तथा 13 श्रम कानूनों को मिलाकर व्यवसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संहिता बनाया गया है।

ये खबर भी पढ़ें: Employees Pension Scheme 1995: युवा कर्मियों का जोर पेंशन नहीं वेतन संशोधन पर, यूनियनों से उठा विश्वास

श्रम संहिताओं का प्रभाव

(i) तीन श्रम कानूनों को समाप्त कर बनाया गया ‘औद्योगिक संबंध संहिता’ का प्रभाव

यह संहिता लागू होने के पश्चात सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा-हर समय श्रमिक संगठन की सदस्यता संबंधित प्रतिष्ठान में 300 से कम कर्मियों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान में कर्मियों की कुल संख्या का 10% या अधिक सदस्यता बनी रहनी चाहिए अन्यथा पंजीयन निरस्त हो सकता है।

Contribution in Employee Pension Scheme 1995 reduced from 12% to 10%, ESI contribution reduced, employers can deduct 8 days' salary
सीटू ने शहीदों को किया नमन, श्रम संहिताओं पर हुआ प्रस्तुति करण। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीद दिवस पर आयोजन।

ये खबर भी पढ़ें: Food Corporation of India के कर्मचारी और अधिकारी Post Retirement Medical Scheme को लेकर बेचैन

300 से कम कर्मचारियों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान में स्थाई आदेश लागू नहीं होगा। इसके साथ ही वहां साप्ताहिक अवकाश, प्रतिदिन काम के घंटे, अवकाश लेने के नियम, अनुशासनात्मक कार्यवाही आदि मामलों में प्रबंधन को स्वेच्छाचारिता की छूट मिल जाएगी।

ये खबर भी पढ़ें: Food Corporation of India News: सेवानिवृत्त कर्मचारी और जीवनसाथी के स्वास्थ्य बीमा पर सीएमडी को बड़ा सुझाव

फिक्सड टर्म एंप्लॉयमेंट के प्रावधान के तहत अब प्रबंधन के पास यह अधिकार होगा कि वह 60 वर्ष की सेवानिवृत्त आयु के लिए नियुक्त ना कर अल्प अवधि के लिए कर्मियों की नियुक्ति करें।

300 से कम कर्मियों वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान के नियोक्ताओं को ले आफ, छँटनी या तालाबंदी के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी ।

ये खबर भी पढ़ें: कर्मचारी पेंशन योजना 1995: पेंशनर का सुझाव राहुल गांधी के जरिए बजट सत्र में ईपीएस 95 पेंशन पर घेरें सरकार को

इस प्रावधान के पश्चात औद्योगिक क्षेत्र के अधिकतर प्रतिष्ठान जहां 300 से कम कर्मचारी हैं स्थाई आदेश के दायरे से बाहर होगें किंतु भिलाई इस्पात संयंत्र के उन विभागों का क्या होगा जो एकीकृत क्रिया में एक दूसरे के सहयोगी नहीं माने जाने के कारण भिन्न प्रतिष्ठान माने जाएंगे एवं जहाँ कर्मचारियों की संख्या 300 से कम हैं, यह एक अहम सवाल है ?

ये खबर भी पढ़ें: तनिष्क शो रूम से 25 करोड़ की लूट पर बड़ा अपडेट, फायरिंग में 2 बदमाश घायल, सोने से भरा मिला बैग   

4 श्रम कानूनों को विलोपित कर बनाया गया वेतन संहिता का प्रभाव

किसी कर्मी द्वारा अनाधिकृत अनुपस्थिति अर्थात बिना अवकाश स्वीकृत करवाए या बिना नोटिस दिए अनुपस्थित होने पर नियोक्ता को उनके 1 दिन की अनुपस्थिति पर 8 दिन का वेतन काटने का अधिकार होगा।

ये खबर भी पढ़ें: तनिष्क शो रूम में पिस्टल की नोक पर कर्मियों को बंधक बनाकर लूट, 25 करोड़ के जेवरात ले गए बदमाश

13 श्रम कानूनों को ‘सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता’ में समाहित किए जाने का प्रभाव

इस संहिता के लागू होने के पश्चात नियोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह महिला कर्मियों को रात्रि पाली में नियुक्त करे।
मजदूरों या ट्रेड यूनियनों की शिकायत पर कारखाना निरीक्षक बिना उपरोक्त सरकार की अनुमति के निरीक्षण हेतु कारखाने में प्रवेश नहीं कर सकते हैं।

ये खबर भी पढ़ें: Bokaro Steel Plant: बोकारो जनरल हॉस्पिटल की डाक्टर ने डिप्रेशन में की आत्महत्या, Gynecology Department में नहीं लग रहा था मन, सुसाइड नोट में ये लिखा

सामाजिक सुरक्षा संहिता

इसी तरह 9 श्रम कानूनों को विलोपित कर बनाए गए सामाजिक सुरक्षा संहिता में कर्मचारी पेंशन योजना में अंशदान को 12% से घटाकर 10% कर दिया गया तथा ईएसआई में भी अंशदान घटा दिया गया, ताकि मालिकों को लाभ पहुंचाया जा सके। अंत में धन्यवाद ज्ञापन सीटू के महासचिव कामरेड जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी द्वारा दिया गया।

ये खबर भी पढ़ें: SAIL BGH डाक्टर आर्या झा के सुसाइड से आप क्या सीखे, पढ़ें RSP DIC, SEFI चेयरमैन, BSL OA अध्यक्ष की अपील