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छुट्टी पास कराने में ED-CBI से भी चार हाथ आगे निकला Bhilai Steel Plant, पर्सनल डिपार्टमेंट का तुगलकी फरमान

छुट्टी पास कराने में ED-CBI से भी चार हाथ आगे निकला Bhilai Steel Plant, पर्सनल डिपार्टमेंट का तुगलकी फरमान
  • छुट्टियों को पास करने में अनावश्यक दखल दे रहा है कार्मिक विभाग।
  • बीएसपी की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने लगाए गंभीर आरोप।
  • छुट्टी पास कराने के नाम पर काउंसिलिंग तक की जा रही है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट (SAIL Bhilai Steel Plant) के कर्मचारियों ने पर्सनल डिपार्टमेंट (Personal Department) पर गंभीर आरोप लगाया है। सीटू ने कार्मिक प्रबंधन को पत्र देकर कहा कि चंद दिनों से संयंत्र के कर्मी डॉक्टर के अनफिट सर्टिफिकेट के साथ छुट्टी पास करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

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छुट्टी भरने का काम कर्मियों का रहता है, उसे पास करना अथवा ना करना निर्धारित रिकमेंडिंग एवं सैंक्शनिंग अथॉरिटी (Recommending and Sanctioning Authority) का काम है। किंतु जुलाई महीने में कई विभागों के कार्मिक अधिकारियों ने मेडिकल सर्टिफिकेट (Medical Certificate) के साथ आवेदन किए हुए कॉम्यूटेशन लीव (Commutation Leave) को रोक दिया है, जिससे अप्रिय स्थिति निर्मित हुई है।

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सरकारी डॉक्टर को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं कार्मिक अधिकारी

सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा कि कार्मिक अधिकारी सरकारी डॉक्टर के द्वारा जारी किए गए मेडिकल अनफिट एवं फिट सर्टिफिकेट (Medical Unfit and Fit Certificate) को लेकर ऐसी ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि वह सरकारी डॉक्टरों को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

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जबकि सरकारी डॉक्टर की रिपोर्ट को अदालत में भी चैलेंज नहीं किया जा सकता है। यदि यही स्थिति चलता रहा तो आने वाले दिनों में एम्स के डॉक्टर पर भी प्रश्न चिन्ह लगाने में कार्मिक विभाग को देर नहीं लगेगा। ज्ञात हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मियों का एक बड़ा हिस्सा अपने स्वयं के एवं अपने परिवार के इलाज करने के लिए एआईआईएमएस (एम्स) रायपुर जा रहे हैं, हो सकता है कुछ दिनों बाद कार्मिक विभाग यह सर्टिफिकेट भी जारी करेगा कि कौन से डॉक्टर अधिकृत हैं एवं कौन से डॉक्टर अधिकृत नहीं है। और हमें किनके पास जाकर इलाज करवाना है।

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सीटू ने सीजीएम पर्सनल से दो बार मांगा समय, लेकिन नहीं मिला

सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा-बायोमेट्रिक फेस रीडिंग अटेंडेंस सिस्टम (Biometric Face Reading Attendance System) लागू होने के बाद कुछ नई-नई समस्याएं सामने आने लगी है, जिस पर बात करने के लिए सीटू ने कार्मिक विभाग के मुख्य महाप्रबंधक से समय मांगा था। किंतु उन्होंने समय देने के बजाय कार्मिक विभाग के महाप्रबंधक वर्क्स के साथ मिलकर विस्तार से चर्चा करने को कहा था।

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सीटू के प्रतिनिधिमंडल ने 5 अगस्त को एसके सोनी से मिलकर मुख्य महाप्रबंधक कार्मिक के नाम पत्र दिया एवं विस्तार से चर्चा किया। समस्याएं अभी भी जस की तस बनी हुई है। सीटू ने फिर से मुख्य महाप्रबंधक कार्मिक से मीटिंग के लिए समय मांगा है एवं उन्होंने फिर से महाप्रबंधक कार्मिक वर्क्स से मिलने को कहा है। ऐसा लगता है मुख्य महाप्रबंधक कार्मिक सीटू से इस मामले में बातचीत नहीं करना चाहते हैं।

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औद्योगिक विवाद का कारण बन रहा है कार्मिक विभाग

सीटू के संज्ञान में छुट्टियों को पास करने के संदर्भ में कुछ मामले आए हैं, जिसमें कार्मिक अधिकारी ने कर्मियों को उनके निवास स्थान के नजदीक के अस्पताल में इलाज करवाने आदि का दायरा समझा रहे हैं। अभी तक लेते आ रहे कई मेडिकल सर्टिफिकेट (Medical Certificate) पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिए है। कार्मिक अधिकारियों ने यह भी कहा है कि आपको अमुक अस्पताल में नहीं, बल्कि अमुक अस्पताल में इलाज करवाना है।

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अनफिट सर्टिफिकेट के साथ-साथ दवाइयां की पर्ची भी दिखाना है। यदि यही स्थिति चला रहा तो आने वाले दिनों में कार्मिक अधिकारी दवाई दुकानों की भी सूची जारी कर देंगे। यह भी कह सकते हैं कि आप जो दवाइयां खा रहे हैं उसे भी लाकर दिखाइए तभी हम मानेंगे कि आप मेडिकली अनफिट थे।
कार्मिक प्रबंधन की इस तरह की दखलअंदाजी एवं गतिविधियां अब औद्योगिक विवाद का कारण बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जो कि संयंत्र के लिए ठीक नहीं है।

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डॉक्टरों की कमी के कारण पैदा हो रही है यह व्यवस्था

सीटू ने कहा कि प्रबंधन द्वारा वर्ष 2000 में जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार अपने स्वयं के मकान में रहने वाले कर्मियों को मेडिकल इमरजेंसी होने पर नजदीक के सरकारी डॉक्टर को दिखाने के बाद बाकी इलाज बीएसपी के अस्पताल में करवाना है। वहीं, बीएसपी मकान में रहने वाले कर्मियों को अपना पूरा इलाज बीएसपी के अस्पताल में करवाना है।

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24 साल पुराना यह सर्कुलर कालांतर में अस्पताल में हुए परिवर्तन के अनुसार अब अपनी मूल भावनाओं से अलग हो रहा है, क्योंकि बीएसपी अस्पतालों में लगातार डॉक्टर एवं टेक्निकल स्टाफ सेवानिवृत हो रहे हैं। नई भर्ती पर लगभग पाबंदी है ऐसे में बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार इलाज करने के लिए प्रबंधन द्वारा जारी किया गया 24 साल पुराना सर्कुलर की सार्थकता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है।

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सीटू ने बीएसपी उच्च प्रबंधन एवं कार्मिक विभाग से कहा कि अस्पताल को डॉक्टर एवं मेडिकल स्टाफ से सर्व सुविधा युक्त कर दीजिए। सभी लोग अपने आप सेक्टर 9 अस्पताल में इलाज करने चले जाएंगे और तब किस्म का कोई विवाद की स्थिति नहीं रहेगी।

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