
- कलेक्ट्रेट के माध्यम से विधि एवं न्याय मंत्री को भेजा पत्र
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केन्द्र सरकार (Central Government) द्वारा चुनाव नियमों में संशोधन कर इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज जैसे वीडियो एवं वेबकास्ट फुटेज के सार्वजनिक निरीक्षण को प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अभियान छेड़ दिया है।
मंगलवार को अनुविभागीय दंडाधिकारी के माध्यम से विधि एवं न्याय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र भेज कर तत्काल उक्त संशोधन को वापस लेने की मांग की है।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार द्वारा दिनांक 20/12/2024 को भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से ‘निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961’ में संशोधन द्वारा उक्त नियम के उप नियम (2) के खण्ड (के) में ‘संबंधित’ शब्द को ‘इन नियमों में यथा विनिर्दिष्ट’ प्रविष्ट किया है।
पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार का यह कदम भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की पारदर्शिता को खत्म कर इसे कमज़ोर करने की दिशा में उठाया गया प्रतिगामी कदम है।
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चुनावों में पारदर्शिता के लिए जोड़ा गया था यह प्रावधान
माकपा का कहना है कि पूर्व में चुनाव आयुक्त द्वारा सभी राजनीतिक दलों से परामर्श कर निर्वाचन संबंधी सभी तरह के दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराने के प्रावधान को चुनाव नियमों में जोड़ा गया था।
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त्रिपुरा लोक सभा चुनाव में धांधली का हुआ था खुलासा
माकपा ने अपने अनुभव का हवाला देते हुए कहा है कि त्रिपुरा में लोकसभा चुनाव के दौरान धांधली के आरोपों के कारण वीडियोग्राफिक रिकॉर्ड्स की जांच की गई, जिसके परिणामस्वरूप लगभग आधे मतदान केंद्रों में पुनः मतदान की घोषणा की गई। पार्टी का कहना है कि यह कदम चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को कम करने का प्रयास है। इसी तरह चंडीगढ़ महापौर चुनाव में धांधली का पर्दाफाश भी वीडियो रिकॉर्डिंग के कारण ही हो पाया।
अल्पमत की सरकार कर रही है बहुमत के फैसले
माकपा नेता एसपी डे ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार अल्पमत की सरकार है, किंतु सभी बहुमत के फैसले तानाशाही तरीके से ले रही है। अब तक की परिपाटी के अनुसार संशोधन से पहले केंद्र सरकार को ना केवल सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों से चर्चा करनी चाहिए थी बल्कि संसद में इस संदर्भ में चर्चा करवाने के पश्चात आम सहमति से यह संशोधन लाया जाना चाहिए था।
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किंतु केंद्र सरकार जिस तरह से चुनाव संबंधी संशोधन का राजपत्र जारी किया है वह लोकतंत्र पर हमला है जिसके खिलाफ ना केवल संघर्ष करना होगा बल्कि ऐसे लोकतंत्र विरोधी संशोधनों को वापस भी करवाना होगा।