- बाबा साहब अम्बेडकर को याद करते हुए डॉ. डोम ने कहा कि हुक्मरान आज खुले आम अंबेडकर के नाम से चिढ़ रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का आठवां छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन सूरजपुर जिले के विश्रामपुर क्षेत्र में संपन्न हुआ। सम्मेलन की शुरुआत में पार्टी के वरिष्ठ साथी गजेंद्र झा ने झंडा रोहण किया।
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शोक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के पश्चात शहीदों को मौन श्रद्धांजलि दिया गया। सम्मेलन का उद्घाटन उद्बोधन रामचंद्र डोम ने दिया। पार्टी सचिव एमके नंदी ने विगत 3 वर्षों का राजनैतिक एवं सांगठनिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया, जिस पर विभिन्न जिला इकाइयों से आए पार्टी के प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लेकर रिपोर्ट पर बात रखें।
पार्टी सचिव ने चर्चा के दौरान प्रतिनिधियों द्वारा रखी गई बाद एवं सुझाव पर जवाब दिया। तत्पश्चात सर्वसम्मति से रिपोर्ट को पारित किया गया। सम्मेलन का समापन भाषण जोगेंद्र शर्मा द्वारा दिया गया। सम्मेलन का संचालन 3 सदस्यीय समिति द्वारा किया गया, जिसमें ऋषि गुप्ता, आर वी भारती, एससी भट्टाचार्य।
सम्मेलन में दुर्ग जिला से एसपी डे, अशोक खातरकर, जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी, अर्चना ध्रुव, पी वेंकट, डीवीएस रेड्डी शामिल हुए।
जनविरोधी पूंजीवादी राजनीति के खिलाफ वैकल्पिक वामपंथी राजनीति को स्थापित करेगी माकपा: डॉ. डोम
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और वामपंथ का संघर्ष देश की दशा दिशा को बदलने और एक शोषणविहीन, वर्गविहीन समाज व्यवस्था, समाजवाद की स्थापना के लिए है। इस ओर आगे बढ़ने के लिए हमें आम जनता के सभी शोषित-उत्पीड़ित तबकों को लामबंद करना होगा और आर्थिक, सामाजिक, जातिग तथा लैंगिक शोषण के खिलाफ संघर्ष तेज करना होगा, देश में लोकतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना होगा।
और इस संघर्ष के क्रम में जनविरोधी पूंजीवादी राजनीति के खिलाफ जनपक्षधर वामपंथी राजनीति को स्थापित करना होगा। पूंजीवाद के पास और केंद्र की भाजपा नीत सरकार के पास आम जनता की बुनियादी समस्याओं-बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी-का कोई समाधान नहीं है।
और इसलिए वे अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति और अवैज्ञानिक, पिछड़ी चेतना को आगे बढ़ा रहे है। इस देश तोड़ने वाली राजनीति के खिलाफ लड़ना, भारतीय समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करना और मनुष्य की बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए समाजवाद को स्थापित करना आज वामपंथ के लिए सबसे बड़ा काम है।
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बाबा साहब अंबेडकर से डरते हैं भाजपाई
बाबा साहब अम्बेडकर को याद करते हुए डॉ. डोम ने कहा कि हुक्मरान आज खुले आम अंबेडकर के नाम से चिढ़ रहे हैं, क्योंकि उनसे उन्हें डर लगता है। बाबा साहब भूमि के राष्ट्रीयकरण और समाजवाद के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि इस देश में से पूँजीवाद खत्म हो और सारी सार्वजनिक सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया जाए। उन्होंने खेती-किसानी को लेकर मोदी सरकार की नीतियों और जमीन छीनकर कारपोरेट कंपनियों को दिए जाने की मोदी सरकार की नीतियों को हराने की किसान आन्दोलन की कामयाबी का जिक्र किया और भविष्य में भी इसी तरह की एकता से इन्हें परास्त करने का विश्वास जताया।
21 सदस्य राज्य समिति सर्वसम्मति से निर्वाचित
सम्मेलन में 23 सदस्य राज्य समिति का प्रस्ताव रखा गया, जिसे प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से पारित किया। धर्मराज महापात्र, संजय पराते, वकील भारती, बाल सिंह, ऋषि गुप्ता, आर वी भारती, एसएन बैनर्जी, प्रशांत झा, ललन सोनी, सुरेंद्र लाल सिंह, कृष्ण कुमार, पी एन सिंह, समीर कुरैशी, राजेश अवस्थी, एसपी डे, कपिल पैकरा, नीलम सिंह, जवाहर कवर, वीएम मनोहर, इंद्रदेव चौहान, डीवीएस रेड्डी का चुनाव किया गया। दो स्थान रिक्त रखे गए। नवनिर्वाचित राज्य समिति ने सर्वसम्मति से बाल सिंह को राज्य समिति सचिव चुना गया। राज्य समिति ने 6 सदस्य सचिव मंडल चुना, जिसमें धर्मराज महापात्र, संजय पराते, वकील भारती, बाल सिंह, ऋषि गुप्ता एवं आर वी भारती है।
सारी हदें पर कर दी है केंद्र सरकार
सम्मेलन के दौरान पार्टी के नेताओं ने कहा कि लोकतंत्र की दुहाई देकर देश की जनता को राहत देने की बात कह कर सत्ता में पहुंची मौजूदा केंद्र सरकार आम जनता को ही निर्मम शोषण के हवाले कर दी है। आज देश मोदी की अगुवाई में अडानी और अंबानी के चंगुल में कराह रहा है।
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आदिवासी, दलित, महिलाएं यातनापूर्ण जिन्दगी जी रहे हैं, किसान बेदखली और मजदूर असहनीय शोषण से की गिरफ्त में हैं और संविधान को ताक पर रखकर मनुस्मृति के आधार पर राज चलाया जा रहा है। यदि मौजूदा सरकार सारी हदों को पार कर दिया कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। इसका प्रतिवाद करने के लिए जनता को ही मैदान में उतरना होगा।
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5 प्रस्ताव पारित किए गए सम्मेलन में
सम्मेलन के दौरान पांच प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें महिलाओं एवं बच्चियों के उत्पीड़न के खिलाफ, दलितों आदिवासियों व अल्पसंख्यको पर हमले के खिलाफ, सांप्रदायिकता के खिलाफ, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ एवं एक राष्ट्र एक चुनाव के तानाशाही अभियान के विरोध में प्रस्ताव है, जिस पर जन अभियान चलाया जाएगा।