- केंद्र सरकार और उसकी संबंधित एजेंसियां दावा करती हैं कि उनके पास कोई मौद्रिक भंडार नहीं है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग की जा रही है। सरकार, इसे अब तक स्वीकार नहीं कर सकी है। वहीं, वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
पेंशनभोगी गौतम चक्रवर्ती का कहना है कि दिल्ली में रेवड़ियां यानी मुफ्त की बारिश हो रही है। भाजपा ने घरों और धार्मिक स्थलों को क्रमश: तीन सौ यूनिट और पांच सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने की पेशकश की है। फिर ‘लाडली बहना’ योजना के तहत प्रत्येक महिला को दो हजार और पांच सौ रुपये की सबसे बड़ी पेशकश की गई है।
पेंशनर ने कहा-इस तरह की पेशकश मतदाताओं को वोट के लिए रिश्वत देने के समान है। ये पेशकश उत्पादकता, काम करने के उत्साह, कौशल सीखने को खत्म कर देंगी और बुरे उदाहरण पेश करेंगी। लेकिन हम, ईपीएस 95 पेंशनभोगी, जिन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक धरती-आसमान एक कर दिया है, हमें न्यूनतम एक हजार रुपये या उससे भी कम पेंशन मिलती है।
मोदी टीम उन कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं करती जिन्होंने उत्कृष्ट राष्ट्रीय योगदान दिया और भावी पीढ़ी के सामने शानदार उदाहरण पेश किए, क्योंकि हम शायद ही भाजपा के चुनावी भाग्य पर कोई असर डाल सकें।
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ईपीएस 95 पेंशनभोगियों की जायज मांगों को हठपूर्वक और बेशर्मी से नजरअंदाज किया जाता है। यह रहस्य की बात है कि जब राज्यों के पास अधिशेष धन नहीं है, तो सरकारें इन वादों को पूरा करने के लिए भारी धनराशि कहां से जुटाती हैं?
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लेकिन हमें अपने योगदान से न्यूनतम मासिक पेंशन 7500 रुपये+डीए+मुफ्त चिकित्सा सेवा देने के लिए, केंद्र सरकार और उसकी संबंधित एजेंसियां दावा करती हैं कि उनके पास कोई मौद्रिक भंडार नहीं है। यह कैसा विरोधाभास है!