- कर्मियों के वेतन समझौते पर सहमति 25 जनवरी 2014 को दिल्ली में बनी थी, जिसे जुलाई 2014 में अमली जामा पहनाया गया था।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisagrh Assembly election) की सरगर्मी के बीच इंटक के चुनाव मतदान में उतरने साथ ही अब विरोधी उनके पुराने समझौता को सार्वजनिक कर आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में बायोमेट्रिक पर बड़ा खुलासा करने का दावा किया जा रहा है।
भाजपा से जुड़े भिलाई स्टील प्लांट के श्रमिक नेताओं ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी की सुविधाओं पर कटौती के साथ-साथ अनुशासन की नकेल कसने का पूरा इंतजाम प्रबंधन परस्त यूनियनों ने कांग्रेस के सरकार रहते रहते जनवरी 2014 में कर दिया था।
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यह सर्वविदित है कि कर्मियों के वेतन समझौते पर सहमति 25 जनवरी 2014 को दिल्ली में बनी थी, जिसे जुलाई 2014 में अमली जामा पहनाया गया था, उस समझौते में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि अनुशासन के मद्देनजर बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी लगाई जाएगी।
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भिलाई के कर्मचारियों का कहना है कि इस पर कांग्रेस और उनके समर्थन वाली लाल झंडा यूनियन ने सहमति दी थी, जिसकी तस्दीक समझौते के मसौदे को देखकर की जा सकती है। यह एक सार्वजनिक डॉक्यूमेंट है और बीएसपी के हर कंप्यूटर पर उपलब्ध है। जहां एक तरफ यह यूनियन प्रबंधन के साथ मिलकर कर्मचारियों के विरुद्ध षड्यंत्र करती है।
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कर्मियों को डरा कर उनको भयभीत करने का आरोप
वहीं, सड़क पर इसी समझौते के विरोध का दिखावा करती है खुद की करनी को सरकार पर थोपना उनकी पुरानी आदत रही है। यह कांग्रेसी मानसिकता की यूनियन और उनके सहयोगी कर्मियों को डरा कर उनको भयभीत करके आज तक अपना उल्लू सीधा करते आए हैं, जबकि वास्तविकता में आज तक जितने भी कर्मियों को पहुंचने वाले नुकसानदायक समझौते हुए हैं, सब के सब कांग्रेस के शासनकाल में हुए हैं।
यही, नहीं इंटक के मान्यता कल के दौरान बायोमेट्रिक के सिवाय प्रवेश द्वार को ही एक तय समय सीमा पर बंद करने और खोलने का कार्य प्रबंधन द्वारा किया गया था, जिसे कर्मचारियों ने अपनी ताकत के बल पर वापस लेने से मजबूर किया।
आंदोलन से भी बनी रही दूरी
इस आंदोलन में भी कांग्रेसी मानसिकता वाले लोग दूर बैठकर तमाशा ही देख रहे थे। आज जब उनकी परत दर परत खुल रही है और सत्ता हाथ से जाती दिख रही है, तब यह अपने पापों को दूसरे के माथे मढ़कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
किंतु आज के कर्मचारी अब इतना जागरुक हो चुके हैं कि वह कही बातों पर नहीं, बल्कि कागज देख कर इसकी सत्यता जानते हैं। वहीं, यह यूनियन जनसूचना के अधिकार के तहत मीटिंग की जानकारी तक नही देती हैं।