जब तक भूमि का हस्तांतरण भारतीय इस्पात प्राधिकरण भारत शासन और छत्तीसगढ़ शासन के मध्य किसी समझौते के तहत ना हो जाए, तब तक मालिका हक नहीं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हाउस लीज रजिस्ट्री को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे थे। शनिवार को महापौर नीरज पाल सामने आए और स्पष्ट रूप से बोल दिया कि रजिस्ट्री होने जा रही है। 22 साल से जिसका इंतजार था, वह अब पूरा हो रहा है। महापौर का बयान आने के बाद इनका विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया। सवालों की बौछार कर दिया है। लेकिन, एक चीज तो स्पष्ट है कि यह सिर्फ रजिस्ट्री है। मालिकाना हल नहीं है। लीजधारियों को मालिकाना हक नहीं मिलने वाला है।
स्टील सिटी चेंबर के अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन का कहना है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की भूमि पर भूमि का मालिकाना हक किसी भी कर्मचारी-अधिकारी अथवा अन्य किसी व्यक्ति को नहीं मिल सकता, जब तक भूमि का हस्तांतरण भारतीय इस्पात प्राधिकरण भारत शासन और छत्तीसगढ़ शासन के मध्य किसी समझौते के तहत ना हो जाए।
भिलाई इस्पात संयंत्र के द्वारा प्रक्रिया आरंभ करने के वक्त इस बात की जानकारी आनी चाहिए कि खुली भूमि का पंजीयन होना है या भूमि पर बने हुए मकान का या प्लीज अनुबंध के समय जब बीएसपी के बने हुए मकानों का लीज पर आवंटन हुआ। उस वक्त कर्मचारी अधिकारी और मकानों में रहते थे, जिसको भिलाई इस्पात संयंत्र जर्जर मकान बनाकर विक्रय की योजना बनाया था, उसके बाद भी उन मकानों के ऊपर नीचे अथवा खुली भूमि पर लीज धारक ने बिना अनुमति निर्माण किया।
भिलाई इस्पात संयंत्र ने लोगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया और सुरक्षा मध्य में जमा राशि का भुगतान भी कर दिया। यह भुगतान कैसे हुआ यह जांच का विषय है। निश्चित रूप से कर्मचारी-अधिकारी भिलाई इस्पात संयंत्र के थे। वर्तमान समय में जब तक भूमि पर बने हुए अनाधिकृत निर्माण को नियमित नहीं किया जाएगा, खुली भूमि का पंजीयन किया जाना और भ्रष्ट आचरण को प्रदर्शित करेगा।
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स्टील सिटी चेंबर भिलाई के अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन का कहना है कि एक पक्ष जो नियमों के तहत गलत है, उसको लीज पद्धति पर नियमित करना और एक पक्ष जो समय-समय पर भिलाई इस्पात संयंत्र के नियमों के तहत राशि का भुगतान करता रहा, उस वर्ग के 7000 लोगों को तिरस्कृत करना दुखद और निंदा जनक है।
महापौर, नगर पालिक निगम भिलाई एवं विधायक भिलाई और शासन के वे सभी नुमाइंदे जो इस पूरी प्रक्रिया कर्ताधर्ता बन रहे हैं, समय रहते अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएं। अन्यथा न्यायालय की शरण में जवाब देना ही होगा। जब नवीनीकरण का अधिकार निगम के पास है। यह बीएसपी मान रहा हैं तो उसे पैनल रेंट पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।