- सोशल मीडिया पर पेंशनर्स के मन की बात।
- एनएसी नेताओं, कमांडर अशोक राउत और अन्य से दो बार सरकार ने वादा किया, अमल नहीं हुआ।
- पेंशनर्स 1000 रुपये से 3000 रुपये की मामूली पेंशन पर रहने को मजबूर हैं।
- अपनी सेवा अवधि के दौरान ईपीएस 95 फंड में योगदान दिया, सरकार उदासीन।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) की न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए है। इसे 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। लोकसभा चुनाव खत्म होते एक बार फिर से आवाज बुलंद होने लगी है। पूर्व कर्मचारियों ने एनडीए सरकार पर दबाव बनाने के लिए रास्ता निकालना शुरू कर दिया है।
ईपीएस 1995 योजना (EPS 95 scheme) के सदस्यों ने पीएम मोदी को बधाई दी। साथ ही ईपीएस 95 के लाभार्थियों ने किसानों को 20,000 करोड़ रुपये की तत्काल राहत प्रदान करने के आदेशों पर हस्ताक्षर करके पीएम के रूप में अपने तीसरे अवतार की शुरुआत करने की सराहना की। साथ ही बड़ा सवाल भी उठा दिया।
पेंशन के लिए आंदोलन करने वाले पूर्व कार्मिकों के फेसबुक पेज के एडमिन गौतम चक्रवर्ती ने लिखा-कर्मचारी पेंशन स्कीम पर फोकस करना चाहिए। सरकार, किसानों पर बजट न्यौछावर कर रही है। लेकिन इसमें जो दिख रहा है, उससे कहीं ज़्यादा है। तीन राज्यों में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं और वे हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र हैं। जहां किसानों के वोट सरकार बनाते या बिगाड़ते हैं।
इसके अलावा, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध और लाल किले पर उत्पात की छाया अभी भी टीम मोदी की रीढ़ को इतना हिला देती है कि विधिवत बनाए गए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा। इसलिए अन्नदाताओं को यह इनाम उदारता से ज़्यादा मजबूरी में दिया गया है।
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वरिष्ठ नागरिक, गरीब, अशक्त लोग असहाय
लेकिन हम वरिष्ठ नागरिक, गरीब, अशक्त लोग असहाय हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी न्यायोचित मांगों जैसे न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये+डीए+मुफ्त चिकित्सा सेवा को लेकर एनएसी नेताओं, कमांडर अशोक राउत और अन्य से दो बार किए गए वादे से पीछे हटने का साहस किया और हमें 1000 रुपये से 3000 रुपये की मामूली पेंशन पर रहने को मजबूर कर दिया।
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ईपीएफओ के मनमाने फैसलों के शिकार
एडमिन गौतम चक्रवर्ती ने लिखा-दिलचस्प बात यह है कि हमने अपनी सेवा अवधि के दौरान ईपीएस 95 फंड में योगदान दिया और अब केंद्र सरकार के हमारे प्रति उदासीन रवैये के साथ ईपीएफओ के मनमाने फैसलों के शिकार हैं। भाजपा को अपने गढ़ में चुनावी पराजय की बहुत जरूरत थी और यह उसकी अपनी करतूत थी। टीम मोदी 3.0 को संसद में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। यहां तक कि सहयोगी दल भी मोदी जी को परेशान रखेंगे।
65 लाख पेंशनभोगियों और उनके परिवार के सदस्यों का आशीर्वाद
प्रिय श्री मोदी, कृपया हमारी न्यायोचित मांगों को तुरंत स्वीकार करें और हमसे किए गए अपने वादे को पूरा करें। आपको और आपकी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में 65 लाख पेंशनभोगियों और उनके परिवार के सदस्यों का आशीर्वाद मिलेगा और खोई हुई जमीन वापस मिल सकती है। और ध्यान रहे महोदय, यह अपील एक सेवानिवृत्त निजी स्कूल शिक्षक की है।
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किसानों की तरफ फंड नहीं चाहिए
हमारे समूह में विभिन्न संगठित क्षेत्रों के कार्यकर्ता शामिल हैं जिन्होंने राष्ट्रीय विकास में बहुत योगदान दिया है। सत्ताधारी व्यवस्था का यह पारस्परिक कर्तव्य है कि वह हमारी अपनी बचत से हमें राहत प्रदान करे (हम किसानों की तरह…फंड नहीं मांगते) और हमारे जीवन को थोड़ा आसान बनाए। हमारा राष्ट्रीय योगदान किसानों के बराबर है, यदि उससे अधिक नहीं।