- पेंशन के लिए केवल आपका कुल योगदान मायने रखता है, आपकी कुल सेवा नहीं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस न्यूनतम पेंशन (EPS Minimum Pension)? कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization (EPFO))। मोदी सरकार और पेंशनभोगियों का आंदोलन। ये सभी आपस में जुड़े तार हैं। लेकिन, न्यूनतम पेंशन की बढ़ोत्तरी के मामले में सब लाचार हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सरकार को क्या सुझाव दें और सरकार क्या करे। इस पर आधारित यह खबर आप पढ़ने जा रहे हैं।
पेंशनर्स रामकृष्ण पिल्लई ने लिखा-राजनेताओं को पेंशन नहीं दी जाती। केवल निर्वाचित सदस्यों को ही पेंशन दी जाती है। उन्हें सरकारी कर्मचारी माना जाता है, वास्तव में वे सरकारी कर्मचारी ही हैं। सरकार उनकी नियोक्ता है। इसलिए सरकार उन्हें पेंशन दे रही है। मुझे लगता है कि पेंशन सेवा के अनुपात में होनी चाहिए। अन्यथा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
आपने सरकार के लिए काम नहीं किया। आप सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। फिर सरकार निजी कंपनियों में काम करने के लिए पेंशन क्यों दे? अगर आपका नियोक्ता आपको पेंशन देता है, तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। मुझे खुशी होगी, अगर सरकार सभी ईपीएस वरिष्ठ नागरिकों को कल्याणकारी उपाय के रूप में वृद्धावस्था पेंशन दे।
ईपीएस पेंशन (EPS Pension) सरकार द्वारा नहीं दी जाती। यह आपके द्वारा बनाए गए फंड द्वारा आपके छोटे-छोटे योगदान से भुगतान की जाती है। यहां पेंशन के लिए केवल आपका कुल योगदान मायने रखता है, आपकी कुल सेवा नहीं।
ईपीएफ निजी क्षेत्र (EPF Private Sector) के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा है, जहां नियोक्ता को मिलान योगदान करना अनिवार्य है। सरकार को नियोक्ताओं/कर्मचारियों द्वारा पेंशन फंड में अधिक योगदान के लिए आदेश देना चाहिए। यह बिना किसी सीमा के वेतन का कम से कम 10% होना चाहिए, यदि नहीं तो नियोक्ताओं का पूरा योगदान पेंशन फंड में जाना चाहिए।
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सरकार को अपना योगदान 1.16% से बढ़ाकर कम से कम 2.00% करने पर विचार करना चाहिए। सरकार अपना योगदान अभी 15,000 वेतन तक सीमित कर सकती है। और न्यूनतम पेंशन के लिए सब्सिडी भी दे सकती है। आप व्यावहारिक और रचनात्मक सुझाव दे सकते हैं।
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