- पिछले 7 वर्षों में 7 करोड़ से अधिक शुद्ध ग्राहक ईपीएफओ से जुड़े एएसयूएसई के अनुसार, श्रमिकों की संख्या 2021-22 के 9.79 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 10.96 करोड़ हो गई।
- केएलईएमएस के अनुसार, 2014-15 से 2023-24 तक रोजगार में 17.18 करोड़ की वृद्धि हुई।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। रोज़गार और बेरोज़गारी (Employment and Unemployment) के आंकड़े वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से एकत्र किए जाते हैं, जो सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) (Ministry of Statistics and Programme Implementation (MOSPI)) द्वारा 2017-18 से आयोजित किया जाता है। सर्वेक्षण की अवधि हर साल जुलाई से जून तक होती है।
नवीनतम वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) (Latest Annual Periodic Labour Force Survey (PLFS)) रिपोर्ट में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोविड अवधि सहित पिछले 7 वर्षों के दौरान रोजगार का संकेत देने वाला अनुमानित श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 2017-18 के 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 58.2 प्रतिशत हो गया है।
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इसी अवधि के दौरान, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर बेरोजगारी दर (यूआर) 6.0 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है। राज्य-वार डब्ल्यूपीआर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध https://www.mospi.gov.in/
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असंगठित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) विशेष रूप से विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवा क्षेत्र में असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठानों की विभिन्न आर्थिक और परिचालन विशेषताओं को मापता है।
उपलब्ध एएसयूएसई रिपोर्ट के अनुसार, श्रमिकों की अनुमानित संख्या 2021-22 के 9.79 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 10.96 करोड़ हो गई है।
इसके अलावा, सितंबर 2017 और सितंबर 2024 के बीच 7 करोड़ से अधिक शुद्ध ग्राहक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) (Employees Provident Fund Organisation) में शामिल हुए हैं, जो नौकरी बाजार के औपचारिकीकरण में वृद्धि का संकेत देता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा प्रकाशित केएलईएमएस (के: पूंजी, एल: श्रम, ई: ऊर्जा, एम: मैटेरियल्स और एस: सेवाएं) डेटाबेस अखिल भारतीय स्तर पर रोजगार अनुमान प्रदान करता है। डेटाबेस के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 के लिए अनंतिम अनुमान, देश में रोजगार वर्ष 2014-15 के 47.15 करोड़ की तुलना में वर्ष 2023-24 में बढ़कर 64.33 करोड़ हो गया। 2014-15 से 2023-24 के दौरान रोजगार में कुल वृद्धि लगभग 17.18 करोड़ है।
रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। तदनुसार, भारत सरकार ने देश में रोजगार सृजन के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
भारत सरकार (Govt of India) के विभिन्न मंत्रालय/विभाग जैसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आदि विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं/कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहे हैं जैसे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), आदि, जो पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हैं। भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं/कार्यक्रमों का विवरण https://dge.gov.in/dge/
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करदंलाजे (Union Minister of State for Labour and Employment Shobha Kardanlaje) ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने बजट 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा प्रदान करने के लिए 5 योजनाओं एवं पहल संबंधी प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा की।
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रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। तदनुसार, भारत सरकार ने देश में रोजगार सृजन के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
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