EPFO के पास फंड की कमी नहीं, हां में हां मिलाने वाले हैं ईपीएफओ ट्रस्टी

EPFO has no shortage of funds, questions raised on attitude of EPFO trustee
ईपीएस 95 पेंशन को लेकर सरकार और ईपीएफओ पर पेंशनभोगी भड़के हुए हैं। लगातार जुबानी तीर चलाए जा रहे।
  • कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए की मांग की जा रही है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Penion) पर संघर्ष जारी है। पेंशनभोगी लगातार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) और केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। पेंशनर्स प्रभाकर नरसिंहैया का कहना है कि बहुत दिनों बाद मैंने एक समझदार आवाज़ सुनी। इसे बार-बार पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। लेकिन इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि सत्ता में बीजेपी-एनडीए है या कांग्रेस-यूपीए? उनका मतलब एक ही है। इतिहास खुद को दोहराता है।

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ईपीएफओ (EPFO) के पास पर्याप्त धन है और यह निश्चित रूप से ईपीएस-95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) के पेंशन दायित्वों का प्रबंधन कर सकता है। 16 नवंबर 1995 की योजना को स्वीकार करके सेवानिवृत्त हुए सभी लोगों के लिए पेंशन। हमारी न्यायसंगत मांगों के वित्तपोषण/बजट में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

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अन्य केंद्रीय सरकारी पेंशनभोगियों के बराबर पेंशन या पुरानी पेंशन के स्थान पर लागू/स्वीकृत एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) या केंद्रीय सरकारी पेंशनभोगियों के लिए एनपीएस जिसमें सीपीआई के अनुसार डीए और चिकित्सा लाभ हो।

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ईपीएफओ ट्रस्ट में अच्छे-खासे ट्रेड यूनियन नेताओं के प्रतिनिधि

ईपीएफओ ट्रस्ट अपने सभी व्यवसायों का प्रबंधन करता है। अगर इसके सदस्य सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के अलावा अच्छे-खासे ट्रेड यूनियन नेताओं के अधिक प्रतिनिधि हैं। अब केवल हाँ-में-हाँ मिलाने वाले लोग ही भारी मात्रा में फंड पाने वाले ईपीएफओ ट्रस्टी हैं।

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गैर-पक्षपातपूर्ण/निष्पक्ष निर्णयों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है, जो सरकार और उसके एकतरफा विचारों का पक्ष ले रहा है। गरीब ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के कीमती जीवन के साथ सिर्फ राजनीति खेल रहे हैं। हम देश की लंबाई और चौड़ाई में फैले हुए हैं, शायद ही चुनावी राजनीति में नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।

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 सरकार ने जीवन को मोह लिया और निजी इस्तेमाल के लिए लूट की

पेंशनभोगी पी बीरन्ना ने कमेंट करते हुए लिखा-सर फंड की समस्या उनके लिए है, जो चुनाव जैसे अनधिकृत उपयोग के लिए है। सरकार ने जीवन को मोह लिया और निजी इस्तेमाल के लिए लूट की।

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कोई भी विभाग भ्रष्टाचारियों के लिए इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं है, सिवाय ईपीएफ के जो बिना दावे के और अपने कर्मचारियों को धोखा देकर लूटा जाता है। इसलिए मोदी के सब का विकास ईपीएफ राशि लूटने के लिए खराब है।

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