EPS 95 Higher Pension: EPFO ने सुप्रीम कोर्ट, सरकार को किया दरकिनार, 50 लाख तक जमा पैसा और उच्च पेंशन, 50 हजार लोग तनाव में

  • -SAIL BSP के 11 हजार कर्मचारी-अधिकारी, 50 हजार परिवार वालों की लड़ाई, लड़ रहा Bhilai, लपेटे में EPFO।
  • -कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ पेंशन का भुगगतान कब से करने वाला है, इसको लेकर सब खामोश है?

अज़मत अली, भिलाई। ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 94 Higher Pension): कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation ) की खामोशी तनाव बढ़ा रही है। ईपीएस 95 हायर पेंशन है या टेंशन। इसको लेकर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के  भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के करीब 11 हजार अधिकारी-कर्मचारी एकजुट होना शुरू हो गए हैं।

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ईपीएफओ (EPFO) के रवैये के खिलाफ कानूनी लड़ाई की राह पर निकल पड़े हैं। साल 2016 से अब तक करीब 11 हजार कार्मिक रिटायर हो चुके हैं। यानी 11 हजार परिवार और पूरे सदस्यों की बात करें तो 50 हजार से ज्यादा लोगों की उम्मीदें हायर पेंशन पर टिकी हुई है, जिसको ईपीएफओ लगातार कुचल रहा है।

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सेल बीएसपी (SAIL – Bhilai Steel Plant) के फाइनेंस डिपार्टमेंट (Finance Department) से रिटायर सीजीएम बीएन अग्रवाल हक की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए सबको एकजुट करने में सफल हुए हैं। ईपीएफओ के उच्चाधिकारियों से लगातार भेंट-मुलाकात कर रहे हैं, ताकि न्याय मिल सके। भिलाई स्टील प्लांट के पीएफ ट्रस्ट, सुप्रीम कोर्ट के फैसले, केंद्र सरकार की गाइडलाइन आदि को आधार पर बनाकर ईपीएफओ को घेर रहे हैं।

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सवालों का सीधा जवाब ईपीएफओ के पास नहीं

बीएन अग्रवाल के सवालों का सीधा जवाब भी ईपीएफओ के क्षेत्रीय अधिकारियों के पास नहीं है। बस, एक ही उत्तर आ रहा है कि ईपीएफओ मुख्यालय से स्पष्टीकरण आने के बाद ही वह कुछ बोल सकते हैं। पेंशन कब से चालू होगी, इस बारे में सब चुप्पी साधे हुए हैं।

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50 लाख तक जमा, फिर पैसा आया वापस

ईपीएफओ की डिमांड नोटिस पर करीब 20 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक जमा किया गया। जमा पैसा को फिर वापस कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाने में 7 माह का समय गुजार दिया गया था। अब 23 महीने का समय बीत चुका है, लेकिन पेंशन चालू नहीं हो सकी।

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ईपीएफओ संविधान के खिलाफ काम कर रहा

बीएसपी के कार्मिक अब तो यहां तक बोल रहे हैं कि ईपीएफओ संविधान के खिलाफ काम कर रहा है। जिस ट्रस्ट पर सवाल उठाया जा रहा है, उसके इम्प्लायर ने कोई गलती नहीं की है। सीपीएफ एक्ट में जो लिखा है उसी पर अमल हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ट्रस्ट को भी पेंशन देने का आदेश है। क्या ईपीएफओ सुप्रीम कोर्ट से ऊपर हो जाएगा।

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पढ़िए ट्रस्ट से जुड़ी रोचक जानकारी, जिसे ईपीएफओ छुपा रहा

-ट्रस्ट पर नियमों का बंधन है। एक शर्त ऐसी लिखी है कि अगर कोई बेहतर स्कीम आती है, जो कर्मचारियों के हित में है। वह स्वयं लागू हो जाएगी। इसके लिए ट्रस्ट में बदलाव का इंतजार नहीं करना है।

-यह बात सीपीएफ एक्ट बोल रहा है। बावजूद, ईपीएफओ हायर पेंशन के मामले को लटकाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहतर स्कीम आई, जो खुद लागू होती है। फिर ईपीएफओ अड़ंगा क्यों लगा रहा है?

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-साथ ही ट्रस्ट के रूल में लिखा है कि ट्रस्ट और सीपीएफ एक्ट में, सिर्फ एक्ट को ही माना जाएगा।

तमाम जद्दोजहद का दौर जारी है।

-अब पेंशनभोगियों ने इरादा कर लिया है कि ईपीएफओ से पहले वार्ता का दौर जारी रखा जाए। अंत में कोर्ट ही जाना होगा।

-सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आखिरी के तीन-चार पैरा में स्पष्ट रूप से सबकुछ लिखा है। कोर्ट के आदेश पर ईपीएफओ लगातार सर्कुलर जारी करता रहा।

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-मार्च 2022 से मई 2023 तक सब सक्रिय रहे। इम्प्लायर के लोग दिन-रात मेहनत करते रहे। 24 साल का रिकॉर्ड निकाला। ट्रस्टी ने सील साइन करके पेपर दिया।

-पेपर-पैसा लेने के बाद साल-छह माह बाद पैसा मांगा। पैसा भी जमा हो गया। अब वापस कर दिया। लेकिन, पेंशन का भुगतान कब से करने वाले हैं, इसको लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ खामोश है? क्या ईपीएफओ इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करता रहेगा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता रहेगा?

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