- कोलकाता उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश (14.11.2025) का सार आप भी पढ़िए।
- EPFO द्वारा जारी सभी अस्वीकृतियाँ अवैध हैं और रद्द की जाती हैं।
- EPFO को सभी उच्च पेंशन आवेदनों पर कानून के अनुसार पुनर्विचार कर मंज़ूरी देनी होगी।
- कर्मचारियों को उच्च पेंशन का विकल्प दिया जाए, बशर्ते वे आवश्यक PF राशि पेंशन फंड में स्थानांतरित करें।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। EPS 95 Higher Pension: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ को कोलकाता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोलकाता उच्च न्यायालय ने विभिन्न छूट प्राप्त संस्थानों (SAIL, BPCL, ISP, DSP आदि) के उन कर्मचारियों द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर एक समान अंतिम निर्णय दिया, जिनके उच्च पेंशन आवेदनों को EPFO ने ट्रस्ट नियमों का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया था। ईपीएस 95 राष्ट्रीय पेंशन संघर्ष समिति छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एलएम सिद्दीकी का कहना है कि पेंशनर्स को कोलकाता हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। ईपीएफओ के गलत फैसले पर पलट दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कोर्ट के आदेश को डिटेल से बताया।
EPFO के सभी अस्वीकृति आदेश निरस्त
- न्यायालय ने EPFO द्वारा जारी सभी अस्वीकृति आदेश (दिनांक 04.02.2025, 05.02.2025, 12.03.2025, 27.02.2025, 19.03.2025 आदि) को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया।
- न्यायालय ने EPFO की दलीलों को अवैध व सुप्रीम कोर्ट के विपरीत बताया।
- EPFO ने उच्च पेंशन अस्वीकार करते हुए कहा था-ट्रस्ट नियमों में वेतन सीमा से अधिक योगदान की अनुमति नहीं है, ट्रस्ट नियमों में कभी संशोधन नहीं हुआ। 04.11.2022 के बाद हुए संशोधन मान्य नहीं
ये खबर भी पढ़ें: सेक्टर 9 हॉस्पिटल निजीकरण: अस्पताल की जिम्मेदारी से भाग रही है सरकार
उच्च न्यायालय की टिप्पणी
- EPFO का यह रुख पूर्णतः गलत और अवैध है।
- सुप्रीम कोर्ट (Sunil Kumar B.) ने कभी ट्रस्ट नियमों में संशोधन अनिवार्य नहीं बताया।
- EPFO का 18.01.2025 का परिपत्र, जिसमें ट्रस्ट नियमों के आधार पर पात्रता सीमित की गई, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध, मनमाना और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।
- ट्रस्ट नियम EPS 1995 को बाधित नहीं कर सकते, क्योंकि ट्रस्ट नियम स्वयं कहते हैं कि लाभकारी स्थिति में EPF अधिनियम एवं योजना सर्वोपरि होगी।
- छूट प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों को उच्च पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता
- न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश का उल्लेख किया: छूट प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों को उच्च पेंशन के मामले में अनछूट (unexempted) कर्मचारियों के समान ही माना जाएगा। अतः उन पर पृथक प्रतिबंध लगाना असंवैधानिक है।
EPFO ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की गलत व्याख्या की
EPFO ने ट्रस्ट नियमों के आधार पर छूट प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों को उच्च पेंशन से वंचित कर भिन्न श्रेणी (artificial classification) बना दी, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
उच्च योगदान को पेंशन फंड में स्थानांतरित करना ही एकमात्र शर्त
सुप्रीम कोर्ट (पैरा 45, Sunil Kumar B.) के अनुसार: कर्मचारी व नियोक्ता को केवल PF ट्रस्ट से पेंशन फंड में अतिरिक्त/उच्च योगदान स्थानांतरित करना है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य शर्त नहीं लगाई जा सकती।
EPFO ने अपने ही 18.01.2025 के सर्कुलर की गलत व्याख्या की
न्यायालय ने कहा: परिपत्र में कहीं भी यह निर्देश नहीं कि ट्रस्ट नियमों के कारण आवेदन अस्वीकार किए जाएँ। EPFO ने वेतन-सीमा आधारित ट्रस्ट नियमों को आधार बनाकर गलत तरीके से आवेदन खारिज किए।
EPFO ने प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया
- कर्मचारियों को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया, जबकि EPFO ने केवल नियोक्ताओं को सुनवाई देने का दावा किया। न्यायालय ने इसे अनुचित और अवैध माना।
- ट्रस्ट नियम EPS 95 पर हावी नहीं हो सकते।
- उच्च पेंशन हेतु ट्रस्ट नियमों में संशोधन आवश्यक नहीं।
- छूट प्राप्त व अनछूट कर्मचारियों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- EPFO ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की गलत व्याख्या कर अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया।
- ट्रस्ट नियमों के आधार पर अस्वीकृति देना विधि-सम्मत नहीं।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि…
EPFO द्वारा जारी सभी अस्वीकृतियाँ अवैध हैं और रद्द की जाती हैं। EPFO को सभी उच्च पेंशन आवेदनों पर कानून के अनुसार पुनर्विचार कर मंज़ूरी देनी होगी। कर्मचारियों को उच्च पेंशन का विकल्प दिया जाए, बशर्ते वे आवश्यक PF राशि पेंशन फंड में स्थानांतरित करें।
EPFO ट्रस्ट नियमों या उनके संशोधन न होने के आधार पर कर्मचारियों को उच्च पेंशन से वंचित नहीं कर सकता। यह निर्णय उन सभी छूट प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है, जो वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन प्राप्त करना चाहते थे।












