
- 1995 की योजना के पीएफ पेंशन में 1995 में उनके द्वारा जमा किए गए पैसे के मूल्य के आधार पर कुछ वृद्धि होनी चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, दिलली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995)। यह मुद्दा गर्म है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) और केंद्र की मोदी सरकार की दया दृष्टि का इंतजार किया जा रहा है। पेंशनर 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन की मांग कर रहे हैं।
पेंशनर्स चुंगथ शंकरनारायणन का कहना है कि ईपीएफ की पारिवारिक पेंशन निधि में उनके योगदान के आधार पर सभी पीएफ पेंशन 1995 से शुरू हुई, पीएफ पेंशन के लिए औसत वेतन की गणना औसत वेतन 6500 (पिछले 60 महीनों के वेतन का औसत) x कुल सेवा को 70 से विभाजित करके की गई।
पीएफ पेंशनभोगियों को उनकी पेंशन में किसी भी वृद्धि के बिना 2014 से 1000 से 3000 रुपये मिलती हैं और उनमें से अधिकांश 70 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए वर्षों का समय लेने के बाद 1995 की योजना के पीएफ पेंशन में वृद्धि की पीएफ पेंशनभोगियों की मांग को खारिज कर दिया।
औसत वेतन 2014 में 15000 और 2021 में 21000 तक संशोधित किया गया, न्यूनतम पीएफ पेंशन अलग होगी। जब तक ईपीएफओ ट्रस्टी बोर्ड और केंद्र सरकार पीएफ पेंशन कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इस पीएफ पेंशन योजना को शुरू किया था, लेकिन इससे पीएफ पेंशनभोगियों को कोई खास फायदा नहीं हुआ, क्योंकि उनकी मौजूदा पेंशन उनके इलाज के खर्च को पूरा नहीं कर सकती, क्योंकि वे बूढ़े हो चुके हैं।
और इस उम्र में उन्हें कोई कमाई नहीं हो सकती। 1995 में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को 2000 से 3000 रुपये प्रतिमाह मिलते थे। उनके वेतन का 8.33 प्रतिशत ईपीएफ के पारिवारिक पेंशन कोष में जमा किया जाता था। अब एक अकुशल कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 18000 रुपये है। 1995 की योजना के पीएफ पेंशन में 1995 में उनके द्वारा जमा किए गए पैसे के मूल्य के आधार पर कुछ वृद्धि होनी चाहिए।
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