- कहने को प्रजा का राज है,पर प्रजा बेजार है। हमारे पास हमारी वर्तमान पीढ़ी का इंतजाम नहीं होता।
- इनके पास इनके आने वाली सात पीढ़ियों का इंतजाम होता है…।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत हायर पेंशन और न्यूनतम पेंशन आंदोलन का मामला गर्म है। आंदोलन से जुड़े पेंशनभोगी भड़ास निकाल रहे हैं। ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर (EPS 95 Pension Rashtriya Sangharsh Samiti Raipur) के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव ने सिस्टम पर तंज कसा है। जन प्रतिनिधियों की कार्य प्रणाली को आड़े हाथ लिया है।
अनिल नामदेव कहते हैं कि जनता गरीब तो उनका प्रतिनिधि गरीब ही होना चाहिए था। जनता गरीब उनके प्रतिनिधि अमीर? कैसे समझेंगे गरीबों का दुख, गरीबों की तकलीफ। वैसे जन प्रतिनिधि शुरू में तो गरीब ही होता है, पर रातों रात अमीर बन जाता है। ये करिश्मा हमने बहुत निकट से देखा है। यही है पद और प्रभाव का मुख्य आकर्षण राजनीति में प्रवेश की लालसा पाने की।
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फिर जब एक बार शेर के मुँह में खून लग गया तो फिर वो और भी खूंखार हो जाता है। जंगल का राजा बने रहने के लिये फिर वो जो न करे थोड़ा चाहे फिर जनता उसका आहार क्यूँ न बन जाए। हो भी यही रहा है। जन प्रतिनिधि अपनी जनता का ही खून चूसने से बाज नहीं आ रहे हैं और हम हैं कि इसका प्रतिकार भी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
पेंशनभोगी अनिल रामदेव कहते हैं-कहने को प्रजा का राज है,पर प्रजा बेजार है। हमारे पास हमारी वर्तमान पीढ़ी का इंतजाम नहीं होता। इनके पास इनके आने वाली सात पीढ़ियों का इंतजाम होता है…और हम हैं कि इनको सर पर बैठाए हुए रहते हैं। इनके लिए हम आपस में लड़ भीड़ भी लेते हैं,जबकि हमें मालूम होता है कि राजनीति में पक्ष और प्रतिपक्ष हमारी पीठ के पीछे एक दूसरे के अभिन्न मित्र होते हैं। उन्हें मालूम है कि आज वो राज करेंगे तो कल हम।
किसी तीसरे का तो कोई विकल्प होगा ही नहीं।ये तीसरा कोई और नहीं…आप और हम ही हैं…आम जनता…जो सब जानती है पर कुछ कर नहीं सकती…। संविधान में आम जनता की बस यही महान स्थिति है। जिसे बदला नहीं जा सकता…। हमने ही इसे इतना सुंदर बनाया फिर बनाने के बाद अपने ही हाथ कटवा लिए। जैसे सुंदर ताजमहल बनने के वक़्त हुआ था…। इतिहास की गवाही देते हुए वो आज भी अटल खड़ा हुआ है,जिसकी खूबसूरती के राज से आज भी लोग अनजान हैं…। जैसे कि हम राजनीति से अनजान हैं।
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