- अनुराग बसु ने कहा-जो अच्छा पाठक नहीं है, वह अच्छा फिल्मकार नहीं हो सकता।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। Director, Screenwriter, Actor और Producer अनुराग बसु भिलाई में रोकर गए हैं। आंखें डबडबाई। अपने दोस्त को याद कर भावुक हो गए। आंखों से आंसू छलक उठा। गायक केके को याद कर अनुराग बसु रो पड़े। यह सब भिलाई स्टील प्लांट के कला मंदिर में हुआ।
कला साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ एवं नॉस्टैल्जिया 80 के संयुक्त तत्वाधान में महात्मा गांधी कला मंदिर में आयोजित चार दिवसीय रंग महोत्सव में अनुराग बसु ने संवाद किया। अकादमी के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नृत्य, संगीत, ड्रामा, फेस्टिवल में पहले दिन अनुराग बसु ने आकर रंग जमा दिया।
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उन्होंने लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिए व उन्हें सही मार्गदर्शन दिया। सिनेमा, एक्टिंग, डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी आदि पर उनके प्रश्नों का समाधान किया। उद्घाटन सत्र में बीएसपी के ईडी प्रोजेक्ट एसके मुखोपाध्याय बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
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विशिष्ट अतिथि ईडी पीएंडए पवन कुमार एवं अनुराग बसु थे। इनके साथ ही पंडित दिशारी चक्रवर्ती, प्लावन बसु, समर राय चौधरी, सजल मुखर्जी व बाहर से आए सभी कलाकार मौजूद थे।
ललित कला अकादमी के सदस्यों व भिलाई के मूर्ति कला व पेंटिंग से जुड़े कलाकारों की आर्ट एग्जीबिशन (Art Exhibition) का उद्घाटन किया अनुराग बसु ने किया। मोहन बैराल, स्वर्णकार सर एवं मनीष ताम्रकार ने अपनी पेंटिंग उन्हें उपहार स्वरूप प्रदान की।
स्वयंसिद्धा समूह की सदस्यों ने भारत के तमाम प्रदेशों की जातीय वेशभूषा में माथे पर सेल का लोगो लगाकर सबका स्वागत किया, जिसे सबने बेहद सराहा। द्वितीय सत्र में अनुराग बसु लोगों से मुखातिब हुए व उनके सवालों के जवाब दिए। जिनमें बच्चे युवा व महिलाएं शामिल थीं।
स्थानीय गायकों परनराज भाटिया, अनुपम भट्टाचार्य, देवांश हालदार, संस्कृति, अपूर्वा श्रीवास्तव आदि ने उनके सामने गीत प्रस्तुत किया, जिसे दादा ने सराहा। तृतीय सत्र में अनुराग बसु ने एक्टिंग वर्कशॉप लेते हुए लोगों को एक्टिंग के गुण बताएं।
कार्यक्रम में शक्ति चक्रवर्ती, मणिमय मुखर्जी, विभाष उपाध्याय, अनीता उपाध्याय, सुमिता पाटिल, जेरी कोसी, अजय विनायक, सुबीर दरिपा आदि के साथ भारी संख्या में भिलाई के सुधीजन मौजूद थे। तीनों सत्रों के कार्यक्रम का संचालन अपने चिर परिचित अंदाज में डॉ. सोनाली चक्रवर्ती ने किया।
अनुराग बसु से ये सवाल पूछे गए
-दादा आप भिलाई के कलाकारों को अपनी फिल्मों में कब अवसर देंगे?
– क्या वेब सीरीज पर भी सेंसर का शिकंजा कसना चाहिए?
-जब मैं एक्टिंग करता हूं तो चेहरे पर एक्सप्रेशन ले आता हूं, अपने हाथों को उस समय कैसे एक्सप्रेस करूं?
-क्या हम महिलाएं जो 40 प्लस एक्टिंग शुरू कर रही है, हमारा कोई फ्यूचर है? और तमाम टेक्निकल प्रश्नों के उन्होंने बड़ी सहजता व सरलता से उत्तर दिए।