
- भारतीय खाद्य निगम ऐसी योजना बना सकता है, जिसमें दो घटक शामिल हों – OPD 30,000/50,000 रुपये तक सीमित हो और IPD दावों की शेष राशि हो।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम के कर्मचारी और अधिकारी (Employee and Officers of Food Corporation of India) पीआरएमएस योजना में सुधार की मांग कर रहे हैं। एक अधिकारी ने एफसीआई के सीएमडी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। हो रहे नुकसान से बचाने की मांग की है।
एफसीआई (Food Corporation of India) करनाल से सेवानिवृत्त प्रबंधक (लेखा) अनिल कुमार सक्सेना ने मुख्य प्रबंध निदेशक- भारतीय खाद्य निगम को पत्र लिखा है। एफसीआई में पीआरएमएस योजना में सुधार का प्रस्ताव दिया है। भारतीय खाद्य निगम में जन सेवा के लिए प्रचलित चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना के साथ-साथ PRMS योजना में संशोधन किया जाए।
पढ़िए क्या-क्या सीएमडी को बताया गया…
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) को अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा संचालित GHS की तर्ज पर समूह स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने की संभावना तलाशनी चाहिए, जिसमें प्रत्येक सेवानिवृत्त कर्मचारी और उसके जीवनसाथी को 5 लाख रुपये तक का व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाए। प्रीमियम 13,000 से 30,000 रुपये प्रति वर्ष तक हो, जो बीमाकर्ताओं की आयु पर निर्भर करे, जिसका खर्च हर साल भारतीय खाद्य निगम उठाए और सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा किए गए अन्य सभी चिकित्सा व्यय का भुगतान बीमा कंपनी करे।
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) ऐसी योजना बना सकता है, जिसमें दो घटक शामिल हों – OPD 30,000/50,000 रुपये तक सीमित हो और IPD दावों की शेष राशि हो। इससे हमारे वार्षिक व्यय की प्रतिपूर्ति में कमी आएगी और साथ ही हमारा प्रशासनिक ढांचा मुक्त होगा।
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धोखाधड़ी वाले दावों में भी कमी आएगी
साथ ही धोखाधड़ी वाले दावों में भी कमी आएगी, क्योंकि बीमा कंपनियां वास्तविक उपचार की वास्तविक कैशलेस प्रतिपूर्ति की निगरानी करेंगी। धारा 6.8 और 6.9 के अंतर्गत दावों के संबंध में, प्रचलित प्रथा के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिपूर्ति की जा सकती है। यह लगभग सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रचलित प्रथा के अनुरूप है। इसी तर्ज पर, समूह बीमा स्वास्थ्य योजना को जन सेवा के लिए अपनाया जा सकता है।