- सत्तारूढ़ पार्टी की सांसद हेमा मालिनी आदि ने संसद के अंदर और संसद के बाहर अपनी पूरी कोशिश की। लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार गईं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। इम्प्लाइज पेंशन स्कीम 1995 (Employees Pension Scheme 1995) इस वक्त काफी सुर्खियों में है। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन को लेकर ईपीएफओ और सरकार पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। ईपीएफओ अपने बचाव में तो सरकार आश्वासन तक सीमित रही। अब तीसरी बार एनडीए की सरकार बन चुकी है। देखना यह है कि पेंशनभोगियों की मांग पर अमल होता है या इंतजार…।
फिलहाल, पेंशनर्स के मन की बात आप पढ़िए। सी उन्नीकृष्णन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमे खुलकर लिखा कि वरिष्ठ नागरिकों की बहुत कम पेंशन (ईपीएस पेंशन) के बारे में अक्सर लोग उल्लेख नहीं करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद लगभग 18 महीने से भाजपा सरकार ने अभी तक इसे लागू नहीं किया है।
आपकी जानकारी के लिए लगभग 90% पेंशनभोगी (अब यह न्यूनतम 1 करोड़ से ऊपर होगा। पहले इसे 70 लाख से अधिक बताया जा रहा था) केवल 1000 रुपये मासिक पेंशन के रूप में प्राप्त कर रहे हैं।
पेंशनभोगी न्यूनतम पेंशन में वृद्धि और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की पूरी तरह से उपेक्षा की। एनके रामचंद्रन, एलामारम करीम जैसे सांसदों और हेमा मालिनी जैसी सत्तारूढ़ पार्टी की सांसद आदि ने संसद के अंदर और संसद के बाहर अपनी पूरी कोशिश की। लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार गईं।
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इसका नतीजा यह हुआ कि पेंशनभोगियों, उनके मित्रों और परिवारों ने भाजपा को वोट नहीं दिया। अगर आप भाजपा के विजयी उम्मीदवार के वोट शेयर के अंतर को देखें, तो आप पाएंगे कि मैंने जो शुरू किया था, वह बिल्कुल सही है। अब मैं सभी साथी पेंशनभोगियों से अनुरोध करता हूं कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं और बकाया सहित नई पेंशन का तुरंत भुगतान नहीं किया गया, तो वे आगामी विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह मतदान करें।
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